Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीसूत्रे
गली, पुद्गलः । तत्केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते - यावत् - पुद्गलः ? गौतम ! जीवं प्रतीत्य, तत् तेनार्थेन गौतम ! एवमुच्यते-सिद्धो नो पुद्गली, पुद्गलः, तदेवं भदन्त ! तदेवं भदन्त । इति ॥ मु० ८ ॥ अष्टमशतके दशमोदेशकः समाप्तः ।
टीका- 'जीवे णं भंते! किं पोग्गली ? पोग्गले ?' गौतमः पृच्छति - हे भदन्त ! जीवः खलु किं पुद्गली उच्यते, अथवा पुद्गल उच्यते ? भगवानाह - ' गोयमा ! पोग्गली, पोग्गले ) सिद्ध पुगली नहीं हैं, पुल हैं। (से केणणं भंते! एवं बुच्चर, जाव पोग्गले ) हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि सिद्ध यावत् पुद्गल हैं । ( गोयमा ! जीवं पडुच्च-से तेणणं गोयमा ! एवं बुवइ सिद्धे नो पोग्गली पोग्गले ) हे गौतम! जीव की अपेक्षा से सिद्ध पुल हैं इस कारण हे गौतम! मैं ने ऐसा कहा है कि सिद्ध पुद्गली नहीं हैं पुद्गल हैं । ( सेवं भंते ! सेवं भंते ! प्ति ) हे भदन्त ! जैसा आपने कहा है वह सर्वथा सत्य है, हे भदन्त ! जैसा आपने कहा है वह सर्वथा सत्य है । इस प्रकार कह कर वे गौतम यावत् अपने स्थान पर बैठ गये ।
टीकार्थ- पूर्वोक्त कर्म पुद्गलात्मक होने से पुद्गल के अधिकार को लेकर सूत्रकार ने यहां उसकी वक्तव्यता का कथन किया है-इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है - ( जीवे णं भंते । किं पोग्गली, पोरगले ) हे भदन्त ! जीव क्या पुढली है या पुद्गल है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते (नो पोगाली, पोग्गले ) सिद्ध युद्धसी नथी यशु युद्ध छे. ( से केणट्टेणं भाते ! एवं gas, जाव पोगाले ? ) हे लहन्त ! आप शा अर खेवं डेा छो सिद्ध युद्धसी नथी पशु युद्ध छे ? ( गोयमा ! जीव पडुच्च-से तेणट्टेण गोयमा ! एवं बुच्चइ सिद्धे नो पोगाली, पाग्गले ) हे गौतम! लवनी अपेक्षा सिद्ध પુદ્ગલ છે. હે ગૌતમ ! તે કારણે મેં એવું કહ્યું છે કે સિદ્ધ પુદ્ગલી નથી
युद्ध छे. ( सेव' भते ! सेव भ'ते ! त्ति ) हे लहन्त ! याये ? धुं તે સર્વથા સત્ય છે. હે ભદન્ત ! આપે આ વિષયનું જે પ્રતિપાદન કર્યું" તે સર્વથા સત્ય જ છે. આ પ્રમાણે કહીને વઢણુા નમસ્કાર કરીને ગૌતમ સ્વામી પેાતાને સ્થાને બેસી ગયા.
ટીકા—પૂર્વોક્ત કમ પુદ્ગલાત્મક હોવાથી પુદ્ગલના અધિકારની અપેક્ષાએ સૂત્રકારે અહીં તેની વક્તવ્યતાનું નીચે પ્રમાણે પ્રતિપાદન કર્યું” છે—
गौतम स्वामीनी प्रश्न - ( जीवेणं भाते ! कि पागली, पोग्गले ? ) 3 ભદ્દન્ત ! જીવ શુ' પુદ્ગલી છે કે પુદ્ગલ છે ? તેના ઉત્તર આપતા મહાવીર પ્રભુ
श्री भगवती सूत्र : ৩