Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
५६५
भगवतोसूत्रे
अंतराइयं० ? पुच्छा' भदन्त ! यस्य खलु जीवस्य गोत्रं कर्म भवति तस्य किम् आन्तरायिकं कर्म भवति ? एवं यस्य आन्तरायिकं कर्म भवति तस्य किं गोत्रं कर्म भवति ? इति पृच्छा, भगवानाह-' गोयमा ! जस्स णं गोयं तस्स अंतराइयं सिय अस्थि, सिय नत्थि, जस्स पुण अंतराइयं तस्स गोयं नियमा अस्थि ७' हे गौतम ! यस्य खलु जीवस्य गोत्रं कर्म भवति, तस्य आन्तरायिकं कर्म, स्यात् कस्यचित् अस्ति, स्यात् कस्यचिन्नास्ति, अकेवलिनः उभयमस्ति केवलिनः आन्तरायिकं नास्ति,किन्तु यस्य पुनरान्तरायिकं कर्म अस्ति, तस्य गोत्रं कर्मापि
अब गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं-(जस्स णं भंते ! गोयं तस्स अंतराइयं० पुच्छा) हे भदन्त ! जिस जीव के गोत्रकर्म का सद्भाव होता है उस जीव के क्या अन्तरायकर्म का भी सद्भाव होता है ? और जिस जीव के अन्तरायकर्म का सद्भाव होता है, उस जीव के क्या गोत्रकर्म का भी सद्भाव होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं(गोयमा) हे गौतम ! (जस्स णं गोयं तस्स अंतराइयं सिय अस्थि सिय नस्थि) हे गौतम ! जिस जीव के गोत्रकर्म का सद्भाव होता है उसी जीवके अन्तरायकर्मका सद्भाव होता ही है ऐसा नियम नहीं है क्यों कि गोत्रकर्म के सद्भाव में अन्तरायकर्म होता भी है और नहीं भी होता है। परन्तु ऐसा नियम अवश्य है कि अन्तरायकर्म के सद्भाव में गोत्र कर्म अवश्य ही होता है। अकेवली जीव में ये दोनों कर्म होते हैं और केवली में गोत्र कर्म तो होता है पर अन्तरायकर्म नहीं होता है । इसी
गौतम स्वाभाना प्रश्न-(जस्स णं भंते ! गोयं तस्स अंतराइयं पुच्छा ) હે ભદન્ત ! જે જીવમાં ગોત્રકમને સદ્ભાવ હોય છે, તે જીવમાં શું અંતરાય કમને પણ સદ્દભાવ હોય છે ? અને હે ભદન્ત ! જે જીવમાં અંતરાયકર્મને સદ્દભાવ હોય છે, તે જીવમાં શું ગોત્રકમને પણ સદુભાવ હોય છે?
भलावीर प्रसुन। उत्तर-“ गोयमा ! 3 गौतम ! ( जस्स णं गोयं तस्स अंतराइयं सिय अस्थि, सिय नस्थि) मेवो 5 नियम नथी गोभना સદભાવમાં અન્તરાય કર્મને પણ સદભાવ જ હવે જોઈએ. કારણ કે ગોત્રકમને સદભાવ હોય ત્યારે અંતરાય કમને સદભાવ કયારેક હોય છે અને ક્યારેક નથી પણ હતું. પરંતુ એ નિયમ તે અવશ્ય છે કે જ્યારે જીવમાં અંતરાય કમને સદભાવ હોય છે, ત્યારે ગોત્રકમને પણ અવશ્ય સદભાવ હોય છે. અકેવલી જેમાં આ બંને કર્મોને એક સાથે સભાવ હોય છે,
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૭