________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
(9)
अपने धरोंके ऊपरका वर्षा संबंधी पाणी निकलने के लिये प्रणा लिका करेंगे, और सब घरका पानी निकलने के वास्ते नवोन खाल बनायेंगे, अथवा पहिलेका खाल होवे उनीका सुधारा करेंगे, और उपयोगी सवित वस्तुओंको अचितकर के रखेंगे, इत्यादि अनेक तरह के आरम्भादि कार्य पहिलेनेही अपने लिये कर लेवेंगे इसलिये उपरोक्त दोषोंका निमित्त कारण न होने के वास्ते आषाढ़ चौमासीसे १ मास और २० दिन गये बाद भगवान् पर्युषणा करते थे, ॥२॥ जैसे १ मास और २० दिन गयेबाद भगवान् पर्युषणा करते थे तैसे ही गणधर महाराजभी १ मान और २० दिन गयेबाद पर्युषणा करते थे॥ ३ ॥ जैसे गणधर महाराज पर्युषणा करते थे तैनेही गणधर महाराजके शिष्य प्रशिष्यादि भी पर्युषणा करते थे ॥ ५॥ जैसे गणधर महाराज के शिष्यादि पर्युषणा करते थे तैसे ही स्य विर भी करते थे ||५|| जैसे स्थविर करते थे तैसेही वर्तमानमें श्रमण निर्ग्रन्थ विवरने वाले हैं सो भी उपरोक्त विधि के अनुसार पर्युषणाकरते हैं ॥ ३॥ जैसे वर्तमान में श्रमण निर्ग्रन्थ पर्युषणा करते हैं तैसे ही हमारे आचार्य उपाध्याय ५० दिने पर्युषणा करते हैं ॥१॥ जेते हमारे आचार्यउपाध्याय ५० दिने पर्युषणा करते हैं तैतेही हमभी आषाढ़ चौमासीसे ५० दिने पर्युषणा करते हैं जिसमें भी कारण योगे ५० दिन के भीतर पर्युषणा करना कल्पता है परन्तु कारण योग से ५० वे दिनको र त्रिकोभी उल्लंघन करना नहीं कल्पता है, याने ५० वे दिनको रात्रिको उल्लंघन करनेवाले को जनज्ञाविरुद्ध दूषण की प्राप्ति होवे ।
अब देखिये उपरोक्त सुप्रसिद्ध श्रोकल्पसूत्रानुसार दूसरे
For Private And Personal