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बामाणं सवीसहराएमासे जाव पज्जोमविति। तहाणं गणहर सीमावि वासणं ज व पज्जोमविति॥॥ जाणं गगहरमीसा वामाणं ज व पज्जोराविंति। तहण थेरवि वामावासंजाव पज्जोमविति ॥५॥ जहाणं थेरा वामाणं जाव पज्जोसविति । तह.णं जे इमे अज्न लाए समणा निग्गंथा विहरंति एएविअणं वामाणं जाव पज्जोमविति ।६॥ जहाणजे इमे अज्जताए समणा निग्गंथावि वासाणं सीसहराए मासे विइकन्ते वामवासं पज्जोसविंति । लहाण अम्हपि आयरिया तवमाया वामाण जाब पज्जोसविति ॥॥ जहाण अम्हंपि आयरिया उवउझाया वासाण जाव पज्जोसविति। तहाण अम्हे वि वासाण सवीसहराए मासे विकन्ते वसावासं 'पज्जेसवेनो । अंतरावियसे कप्पा नोसे कप्य इ तं रणि उवायणावित्तए॥८॥ इत्यादि - भावार्थ:--तिसकाल तिसममयके विघे श्रमण भगवान् श्री महावीरस्वामी वर्षा संबंधी आषाढ़ चौमासीसे वीश दिन सहित एक मास याने ५० दिन जाने से वर्षावासमें पयुषणा करते भये, ॥१॥ यहां पर शिष्य पूछता है कि हेभगवान् किन कारण से ऐमा कहते हो तब गुरु महाराज उत्तर देते हैं कि-प्राय कर के गृहस्य लोग भगवान्का महारम्य जान करके इस समय वर्षा बहुत होगी ऐसा विचार करके अपने घरों को चटाइयों से आच्छादित करेंगे, चूनादि से सेपेदी करेंगे, घात तृणादिसे उपरमें बंदोवस्त करेंगे, नाबर लिंपन करेंगे आसपासमें वाड वगैरहने जाबता करेंगे,
वी नीची भूमीको नोड़कर बराबर करेंगे. पाषाणादिसे घस 'करके धोकणी करेंगे, मकानोंको धूगादिसे सुगंधयुक्त करेंगे और
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