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[ ३६१ ] वृद्धि होनेसे अभिवर्द्धित संवत्सर के तेरह मास और छबीश पक्ष भी अनेक शास्त्रोंमें कहे हैं इसलिये सांवत्सरिक क्षामणेमें मास रद्धिके अभावसे चंद्रसंवत्सर संबन्धी बारह मास चौबीस पक्ष कहने चाहिये और मास वृद्धि होनेसे अभिवर्द्धित संवत्सर सम्बन्धी तेरह मास छबीश पक्ष कहने चाहिये और जिम शास्त्रमें बारह मास चौबीश पक्ष लिखे होवें सो चन्द्र संवत्सर सम्बन्धी समझने चाहिये। इतने पर भी मामवृद्धि होनेसे तेरह मास छबीश पक्ष व्यतीत होने पर भी बारह मास चौबीश पक्ष जो बोलते हैं सो कोई भी शास्त्र के प्रमाण बिना अपनी मति कल्पनाका बर्ताव करके श्रीअनन्त तीर्थंकर गणधरादि महाराजोंका कहा हुवा अभिवर्द्धित संवत्मरके नामको खंडन करके उत्सूत्र भाषणसें संसार वृद्धिका कारण करते हुवे गरुगम रहित श्रीजैनशास्त्रों के तात्पर्यको नहीं माननेवाले हैं क्योंकि देखो सर्वत्र शास्त्रों में साधके बिहारकी व्याख्यागे नव कल्पि विहार साधुको करनेका कहा है सो मासद्धि के अभावसें होता है परन्तु शीतकालमें अथवा उष्णकालमें मासवद्धि होनेसे अवश्य करके १० कल्पिविहार करनेका प्रत्यक्ष बनता हैं तथापि कोई हठवादी शीतकालमें अथवा उष्णकालमें मास वृद्धि होतेभी नवकल्पि विहार कहनेवालेको माया मिथ्या का दूषण लगता है क्योंकि जैसे कार्तिक पीछे साधने वि. हार किया और मास कल्पके नियम मजब विचरता है उसी समय शीतकाल में अथवा उष्ण काल में अधिक मास होगया तो उम अधिक मास में अवश्य करके दूसरे गांव विहार करेगा परन्तु एकही गांव में दो मास तक कदापि
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