________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
[ २ल्ल ]
खास करके दिनोंकी गिनती से पर्युषणा करनेका श्रीतीर्थङ्कर गणधरादि महाराजोंने पञ्चाङ्गीके अनेक शास्त्रों में खुलासा पूर्वक कहा है) इस लिये इस वर्त्तमान काल में दूसरे श्रावण में अथवा प्रथम भाद्रपदमें ५० दिनेही प्रसिद्ध पर्युषणा गांवत्सरिक प्रतिक्रमणादि पांच कृत्यों सहित अवश्यही निश्चय करके करनी चाहिये सो पञ्चाङ्गी के अनेक शास्त्रों के प्रनाणानुसार तथा युक्तिपूर्वक स्वयं सिद्ध है सो तो ऊपरके लेखको तथा इस ग्रन्थको आदिसें अन्ततक आठों महाशयों के लेखकी समीक्षाको पढ़नेवाले मोक्षाभिलाषी सत्यग्राही सज्जन स्वयं विचार लेवेंगे तथा इठे महाशयजी आप भी हृदयमें विवेक बुद्धि लाकर के न्याय दृष्टिसें पढ़कर अच्छी तरह से विचारो और आप सत्यवादी महा व्रतधारी आत्मार्थी होवो तो पञ्चाङ्गीके अनेक प्रमाणानुसार और खास आपके गच्छके भी पूर्वाचाय्यकी मर्यादानुसार ५० दिने दूसरे श्रावणमें अथवा प्रथम भाद्रपद में सांवत्सरिक प्रतिक्रमणादि पाँच कृत्योंसे प्रसिद्ध पर्युषणा वार्षिकपर्व करनेका ऊपरोक्त प्रत्यक्ष न्यायानुसार तथा युक्तिपूर्वक शास्त्रोंके प्रमाणको ग्रहण करो और शास्त्रोंके प्रमाण बिना तथा युक्तिके विरुद्धका मिथ्या कदाग्रहको छोड़ो और ५० दिने पर्युषणापर्व करनेका निषेध करने सम्बन्धी जितनी कुतकीं करनी है सो सबीही संसारवृद्धिकी हेतुरूप तथा भोले जीवोंकी सत्यबात परसें श्रद्धा भ्रष्ट करके गच्छ कदाग्रहके मिथ्यात्वका भ्रम में गेरनेके लिये अपने विद्वत्ताकी हासी करानेवाली है सो भवभीरू मोक्षाभिलाषी आत्मार्थियोंको करनी उचित नही है तो फिर छठे
For Private And Personal
4
-