________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
[ ११५ ]
वर्षाकाल में ठहरे हैं तै तेही चंद्र संवस्तर में भी पचासदिने कह देवें कि हम वर्षाकाल में यहाँ ठहरे हैं ऐसे अक्षर खुलासा पूर्वक चन्द्र के तथा अभिवर्द्धितके लिये अनेक शास्त्रकारोंने लिखे है सो इन शास्त्रकारोंके लिखे वाक्य परसे तो इन तीनों विद्वान् महाशयोंकी विद्वत्ताके अनुसार चन्द्र संवत्सर में पत्रास दिने भाद्रपद शुक्लपञ्चमीको पर्युषणा भी गृहस्थी लोगोंके कहने मात्रही ठहर जावेंगे और सांवत्सरिक प्रतिक्रमणादि वार्षिक कृत्य करनाही नही बनेगा क्योंकि ज्ञात पर्युषणा चन्द्रमें पचासदिने तथा अभिवर्द्धित संवत्सर में वीशदने करे सो यावत् कार्त्तिकपूर्णिमा तक खुलासा पूर्वक शास्त्रकारोंने लिख दिया है और अमुक दिने ज्ञात पर्युषणा करे और अमुक दिने वार्षिक कृत्य करे ऐसा कोई भी जगह नही लिखा है इसलिये तीनों महाशय जो ज्ञात पर्युषणा के दिन वार्षिक कृत्य मानेंगे तब तो अभिवर्द्धित संवत्सर में वो दिने वार्षिक कृत्य भी माननें पड़ेंगे और वीश दिनकी पर्युषणा कहने मात्रही है ऐसा लिखना भी मिथ्या होने में कुछ बाकी नही रहा और चन्द्रसंवत्सरमें पचासदिने ज्ञात पर्युषणा में वार्षिक कृत्य मानोगें और अभिवर्द्धित संवत्सरमें वीशदिने ज्ञात पर्युषणामें वार्षिक कृत्य नही मानोगे ऐसा मन कल्पनाका अन्याय तीनों महाशयोंका आत्मार्थी बुद्धिजन पुरुषं कदापि नहीं मान सकते हैं किन्तु वीशे तथा पचासे ज्ञात पर्युषणा वहाँ ही वार्षिक कृत्य यह न्यायशास्त्रानुसार होनेसे सर्व आत्मार्थियोंको अवश्यही प्रमाण करने योग्य है इसलिये अभिवर्द्धित संवत्सर में वीश दिने श्रावण शुक्लपञ्चमीको ज्ञात पर्युषणा वार्षिक कृत्यों
For Private And Personal