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.. ऐसे शक्तियाँ व्यर्थ गईं अरे! क्लेश करना, वही सुख... १५९ १५४ ...वह मानवधर्म कहलाता है १६० १५६
क्लेश हुआ, लेकिन निकालें... १४७ समझदारी सजाए, संसार व्यवहार १४९ क्या भूल रह जाती है? अरे, उसे पूछो तो सही !
१०. फ्रैक्चर हो, तभी से आदि जुड़ने की !
हिसाब चुकाते हुए, स्वपरिणति .. १६२ देहोपाधि, फिर भी अंत:करण... १६३ पैर टूटा या जुड़ रहा है? बुखार आया? नहीं, जा रहा है १६६
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११. पाप-पुण्य
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सही धन तो सुख देता है पाप-पुण्य की यथार्थ समझ पाप-पुण्य से मुक्ति ... पाप के उदय के समय उपाय... १७५
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नहीं हो सकता माइनस ... उसमें किसी को दोष कैसे ... और इस तरह पुण्य बँधते हैं
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मैं जा रहा हूँ या गाड़ी... अनुभव के बाद रहे सावधानी से१८६
१२. कर्तापन से ही थकान
फ्रैक्चर के बाद, टूटता है या.. १६६ फर्क, परिणाम में या...
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टूटे-जुड़े, उसमें 'खुद' कौन ? १६९
१८४ ...तब दोनों सिरों से मुक्त हुए१८७
की परिभाषा
पुण्य ही, मोक्ष तक साथ में १७८ पाप-पुण्य, क़ीमती या भ्रांति ? १८० जहाँ अज्ञानता, वहीं पाप... १८० पुण्य तो, पुण्यानुबंधी ही हों १८१ .. तब तो परभव का भी बिगड़े१८२ वास्तविक ज्ञान ही उलझन में... १८३
कमाई में, चुकता किए जीवन १८९ ...वह धन जमा होता है
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दान, हेतु के अनुसार फल...
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... लेकिन तख्ती में खत्म... अंत में तो धर्म का ही साथ लक्ष्मी, मेहनत का फल या... लक्ष्मी के प्रति प्रीति ! तो यह तो कैसा भोगवटा ? सहज प्रयत्न से, संधान मिलेगा.. १९८
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१३. भोगवटा, लक्ष्मी का
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हिसाबवाली रकम, कम... निंदा बंद होने से, लक्ष्मी...
बिना 'कारण' के 'क्लेम'...
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बंधन, वस्तु का या राग-द्वेष का ? २०४
हिसाबी बंधन, रुपये से या... २०५
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यह तो एकस्ट्रा आइटम २०६
दृष्टि के अनुसार जीवन गुज़र...२०७ उपयोगमय जीवन किस प्रकार ? २०७