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जागृति, जंजाली जीवन में... (१)
हो पाएगा।' ऐसा हमें एक फर्क लगता है, लेकिन यहाँ पर ऐसा फर्क नहीं रहता। यह तो मैं रूबरू ही हूँ न?
संसार में कितने प्रकार की चुभन? एक ही प्रकार की चुभन काटती है। सभी चुभन एकसाथ एकदम से नहीं काटतीं। सभी बारी-बारी से काटती हैं। एक काट चुके तब फिर दूसरी आकर काटती है, फिर तीसरी आकर काटती है। चुभन निरंतर काटती ही रहती है। सभी उलझे हुए हों तो क्या हो सकता है? काटेंगे तो सही न? उलझाएँगे भी सही न?
जंजालों में जकड़े हुए जीवन! __ यह संसार जंजाल छोड़ने से छूट पाए, ऐसा नहीं है, यह ज्ञान से छूटे, ऐसा है। कितने समय से जंजाल से छूटने की इच्छा हो रही है? जवानी में तो छूटने की इच्छा होती नहीं, जवानी में तो जंजाल बढ़ाने की इच्छा होती है न?
प्रश्नकर्ता : वह तो बुढ़ापे में भी छूटने की इच्छा नहीं होती, लेकिन अब आपकी तरफ से कुछ प्रयत्न होंगे तो छूट पाएँगे।
दादाश्री : हाँ, ठीक है। बुढ़ापे में भी जंजाल में से छूटने की इच्छा नहीं होती, ऐसा है।
प्रश्नकर्ता : इसमें से छूटने का कोई रास्ता?
दादाश्री : इस जंजाल में से छूटने का रास्ता यही है कि 'हम कौन है?,' वह ज्ञान प्राप्त हो जाए 'ज्ञानीपुरुष' से, तो छूट जाएँगे ऐसा है। जंजाल किसी को भी पसंद नहीं है। आपको पसंद है क्या यह जंजाल?
प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री : बिल्कुल नहीं? कोई फूलमाला पहनाए तो? प्रश्नकर्ता : वह जोखिम लगता है।