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आप्तवाणी-७
लिए यहाँ तक आए थे, अब कमाकर कोई ऐसा नहीं कहता कि, 'मेरे पास पाँच अरब रुपये हो गए हैं, अब मुझे कोई ज़रूरत नहीं है।' ऐसा कहनेवाला मुझे कोई नहीं मिला । पाँच अरब नहीं तो ‘एक अरब हो गए हैं।' कोई ऐसा कहे तो भी मैं समझँ कि 'भाई, ये कलकत्ता आ गए थे, वे हैं । शाबाश!' बैंक में आपके कितने पैसे हैं? पचासेक लाख रुपये हैं ?
प्रश्नकर्ता : क्या बात करूँ साहब?
दादाश्री : क्या कहते हो सेठ ? यदि धोराजी से यहाँ आए, फिर भी बैंक में कुछ नहीं है? देखो शरमाने जैसा हो गया है, वहाँ से यहाँ आए और फँस गए उल्टा। न तो यहाँ के रहे, न ही वहाँ के रहे।
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भगवान की भाषा में संपत्ति किसे कहते हैं? जो संपत्ति गुणावाली हो, उसे । गुणावाली संपत्ति साथ में ले जाता है और उसे खुद को संतोष भी रहता है। जो संपत्ति भागवाली होती है, उसे भगवान ने संपत्ति माना ही नहीं । भागवाली संपत्ति तो जब यहाँ पर मर जाता है और तब उसकी संपत्ति भी चली जाती है।
वह धन जमा होता है
पैसों का स्वभाव कैसा है ? चंचल है। इसलिए आते हैं और एक दिन वापस चले भी जाते हैं। इसलिए पैसे लोगों के हित के लिए खर्च करने चाहिए । जब कभी आपका खराब उदय आ जाए, तब लोगों को दिया हुआ ही आपकी हेल्प करेगा। इसलिए पहले से ही समझ लेना चाहिए। पैसों का सद्व्यय तो करना ही चाहिए न ?
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चारित्र से समझदार हुआ कि पूरा जगत् जीत लिया। फिर भले ही जो कुछ खाना हो वह, खाए- पीए और यदि अधिक हो