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जेब कटी? वहाँ समाधान! (१७)
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होते रहे तो वापस आएँगे क्या? इसके बजाय भगवान का नाम लोगे तो उपाय होगा।
प्रश्नकर्ता : उसमें भी संसार की मुश्किलें आड़े आती हैं।
दादाश्री : नहीं, लेकिन वे थोड़े ही कुछ वापस आनेवाले हैं? जो वापस नहीं आनेवाले हैं उसकी तो हमें बात ही क्या करनी? 'गॉन इज़ गॉन!'
प्रश्नकर्ता : फिर भी उस दुःख के कारण भगवान की तरफ अब कदम नहीं बढ़ते और चिंता ही रहा करती है।
दादाश्री : चिंता से फिर क्या होता है? फायदा होता है या नुकसान होता है?
प्रश्नकर्ता : नुकसान होता है।
दादाश्री : फिर नुकसान का धंधा क्यों कर रहे हो? नफे का धंधा करो। नुकसान तो, रुपये गए वह क्या कम नुकसान हुआ है? फिर ये चिंता-उपाधि करके दूसरा नुकसान क्यों उठा रहे हो? उसके बजाय भगवान का नाम लो न अथवा यहाँ सत्संग में आओगे तो भी शांति रहेगी।
प्रश्नकर्ता : कई बार ऐसा होता है कि सच्चे रास्ते पर चलनेवाले को संसार में बहुत मुश्किलें सहन करनी पड़ती हैं।
दादाश्री : मुश्किलें तो अपनी ही खड़ी की हुई है, किसीने कोई मुश्किल की ही नहीं। इस जगत् में कोई भी व्यक्ति किसी को मुश्किल में डाल ही नहीं सकता। जो मुश्किलें आती हैं वे खुद की ही खड़ी की हुई हैं और लोग आपको आपकी इच्छा के अनुसार मुश्किल खड़ी करने में हेल्प करते हैं। जो लोग आपकी जेब काटते हैं, वे आपको हेल्प कर रहे हैं। और आप वापस उसे मुश्किल कह रहे हो? किस तरह हेल्प करते हैं? कि आपको कर्म में से छुड़वाने के लिए वह बेचारा आपकी जेब काटता है,