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जेब कटी? वहाँ समाधान! (१७)
२६५ दिनों तो थोड़े से पुराने जूते भी नहीं पहनता था। थोड़ा सा पुराना हो जाए तो निकाल देता और नये जूते ही पहनता था। तो नये जूते, ऐसे फर्स्ट क्लास दिख रहे थे, वे उपाश्रय के बाहर रख दिए थे। लेकिन उस दिन मुझे तो ऐसी खबर ही नहीं थी कि इस तरह जूते चोरी हो जाते हैं। मैं तो फिर जब उपाश्रय से बाहर निकला, तब मैंने देखा कि जूते नहीं थे। फिर इधरउधर सब तरफ देखा, तब एक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि, 'चाचा, क्या ढूँढ रहे हो?' मैंने कहा कि, 'मेरे जूते मैंने यहाँ निकाले थे और अब वे नहीं दिख रहे हैं।' तब उसने पूछा कि, 'वे नए थे?' तब मैंने कहा कि, 'हाँ, वे तो पंद्रह दिन पुराने ही थे।' तब उसने कहा कि, 'चाचा, अब ढूँढना ही मत, आपके वे जूते तो अब चले ही गए। यहाँ नए से नए जूते उठा ले जाते हैं और पुराने रहने देते हैं।' तब मैंने मन में कहा कि, 'यह तो कल्याण हो गया अपना(!)' लंबा कोट, सिर पर काली टोपी और जूते गायब, फिर देख लो मज़े! उसका फोटो कितना अच्छा आएगा? पैर में जूते नहीं थे, इसलिए मन में शर्म आई कि आज किस तरह घर जाऊँगा? फिर विचार आया कि ऐसे नंगे पैर जाने में क्या हर्ज है! शायद लोग पूछेगे कि क्या है? तो वे नवीनता तो देखेंगे। उन दिनों तो सभी लोग मुझे पहचानते थे न! और ऐसे नंगे पैर जाऊँ तो सब पूछते न! वे जो दुकानदार थे न, अभी तो उन दुकानदारों के बेटे के बेटे बैठते हैं। ये लड़के तो मुझे पहचानते ही नहीं। फिर मैं रास्ते पर चलता हुआ निकला, तब रास्ते में लोगों ने पूछना शुरू किया कि, 'क्यों, ये बूट कहाँ गए?' तब किसीने मुझसे कहा कि, 'आप ऐसा करो, यह बुरा दिख रहा है, आप रिक्शा में बैठकर घर जाओ।' इसलिए फिर रिक्शा में बैठकर घर चला गया। दूसरे बूट बनवाकर ही फिर बाहर निकला! तब तक, जो पुराने बूट थे, वे पुराने बूट ही पहनकर घूमा, दो दिनों तक। ___ यानी मुझे भी ऐसा अनुभव हो चुका है, मैं जानता हूँ न!