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आप्तवाणी-७
रिज़ल्ट आया, तो अब रिज़ल्ट के ऊपर, मैं रिज़ल्ट को नाश करने का उपाय करूँ, उसके जैसी बात हुई। यह रिज़ल्ट आया वह किसका परिणाम है, हमें उसे बदलने की ज़रूरत है । '
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लोगों ने क्या कहा है कि, 'क्रोध को दबाओ, क्रोध को निकालो।' अरे, ऐसा क्यों करता है? बिना बात के दिमाग़ बिगाड़ रहे हो ! इसके बावजूद भी क्रोध निकलता तो है नहीं। फिर भी लोग कहेंगे कि, ‘नहीं साहब, थोड़ा-बहुत क्रोध दब गया है।' अरे, जब तक वह अंदर है तब तक वह दबा हुआ नहीं कहा जा सकता। तब उन भाई ने कहा कि, 'तो आपके पास और कोई उपाय है?' मैंने कहा, 'हाँ, उपाय है। आप करोगे?' तब उन्होंने कहा, ‘हाँ।' तब मैंने कहा कि, 'एक बार तो नोट करो कि इस जगत् में खास तौर पर किस पर अधिक क्रोध आता है?' जहाँजहाँ क्रोध आता है उसे 'नोट' कर लो और जहाँ क्रोध नहीं आता उसे भी जान लो । एक बार लिस्ट में डाल दो कि इस व्यक्ति पर क्रोध नहीं आता। कुछ लोग उल्टा करें, फिर भी उन पर क्रोध नहीं आता और कुछ तो बेचारे सीधा कर रहे हों फिर भी उन पर क्रोध आता है, तो फिर कोई कारण तो होगा न?
प्रश्नकर्ता : उसके लिए मन के अंदर ग्रंथि बन गई होगी?
दादाश्री : हाँ, ग्रंथि बन चुकी है, उस ग्रंथि को छोड़ने के लिए अब क्या करें? परीक्षा तो दे चुके हो। जितनी बार उसके प्रति क्रोध होना है उतनी बार हो ही जाएगा और उसके लिए ग्रंथि भी बन चुकी है, लेकिन आगे से आपको क्या करना चाहिए? जिस पर क्रोध आता है उसके लिए मन नहीं बिगड़ने देना चाहिए । मन सुधारना कि भाई, अपने प्रारब्ध के हिसाब से यह व्यक्ति ऐसा कर रहा है। वह जो-जो कर रहा है, वह मेरे कर्म के उदय हैं इसलिए ऐसा कर रहा है। इस प्रकार मन को सुधार लेना । मन को सुधारते रहोगे और सामनेवाले के प्रति मन सुधर जाएगा तो उसके प्रति क्रोध आना बंद हो जाएगा। कुछ समय तक, जो पिछला इफेक्ट है, पहले