Book Title: Aptavani Shreni 07
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 350
________________ व्यापार की अड़चनें (19) 309 ग्राहक ले जाएगा, नहीं तो तीसरा! कोई तो लेनेवाला मिलेगा न? फायदा नहीं, लेकिन यह तो जोखिम मोल लिया व्यापार में आपको प्रयत्न करते रहना है, 'व्यवस्थित' अपने आप सब जमाता रहेगा। वह भी आपको सिर्फ प्रयत्न ही करते रहना है, उसमें आलस मत करना। भगवान ने कहा है कि सबकुछ 'व्यवस्थित' ही है। अगर फायदे में पचास हज़ार या लाख आनेवाले हैं, तो चालाकी करने से एक आना भी बढ़ेगा नहीं और चालाकी से अगले जन्म के नये हिसाब बाँधोगे, वह अलग! प्रश्नकर्ता : लेकिन व्यापार में चालाकी किए बिना तो व्यापार चलता ही नहीं न? दादाश्री : भगवान ने क्या कहा है कि, "यह सब, जितना 'व्यवस्थित' में है उतना ही तुझे मिलेगा और चालाकी से कर्म बँधेगे और पैसा एक भी नहीं बढ़ेगा!" एक व्यक्ति बिना चालाकी से व्यापार करे और वही व्यक्ति दूसरे साल चालाकी से व्यापार करे, लेकिन फायदा इतना ही रहेगा और चालाकी करने से कर्म बँधेंगे, वह अलग। इसलिए ऐसी चालाकी मत करना। चालाकी से कोई फायदा नहीं है जबकि नुकसान बेहद है! चालाकी बेकार जाती है और अलगे जन्म की जोखिमदारी मोल ले लेता है। भगवान ने चालाकी करने को मना किया है। अभी तो कोई चालाकी करता ही नहीं न? प्रश्नकर्ता : सभी करते हैं, दादा। दादाश्री : ऐसा! क्या बात कर रहे हो? लेकिन जान-बूझकर चालाकी मत करना। चालाकी की बात तुझे समझ में आई न? प्रश्नकर्ता : लोभ की गाँठ है, उसकी वजह से चालाकी होती है, ऐसा? दादाश्री : लोभ की गाँठ तो लोगों में होती ही है, लेकिन

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