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क्रोध की निर्बलता के सामने (१८)
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पर्सनालिटी कब आती है? विज्ञान जानने से पर्सनालिटी आती है। इस जगत् में जो विस्मृत हो जाए, वह ज्ञान है और जो कभी भी विस्मृत न हो, वह विज्ञान है।
जगत्, शील से जीता जा सकता है दादाश्री : कोई तुझे डाँटे तो तू उग्र हो जाता है न? प्रश्नकर्ता : हाँ, हो जाता हूँ। दादाश्री : तो वह कमज़ोरी कहलाएगी या मज़बूती कहलाएगी? प्रश्नकर्ता : दोनों कहलाएगा। दादाश्री : नहीं, नहीं, वह तो कमज़ोरी ही कहलाएगी। प्रश्नकर्ता : किसी जगह पर तो क्रोध होना ही चाहिए।
दादाश्री : नहीं, नहीं। क्रोध तो खुद ही कमजोरी है। किसी जगह पर तो क्रोध होना ही चाहिए,' वह तो संसारी बात है। यह तो खुद से क्रोध नहीं निकल पाता इसलिए ऐसे कहता है कि क्रोध होना ही चाहिए! तुझे मालूम है, हिम गिरता है, वह? अब हिम का मतलब बहुत ही ठंड होती है न? उस हिम से पेड़ जल जाते हैं, सारा कपास, घास सभी कुछ जल जाता है। तू ऐसा जानता है क्या? वे ठंड में क्यों जल जाते होंगे?
प्रश्नकर्ता : ‘ओवरलिमिट' ठंड के कारण।
दादाश्री : हाँ, यानी यदि तू ठंडा बनकर रहेगा तो वैसा शील उत्पन्न हो जाएगा। और फिर, उग्रता तो कमजोरी ही है न!
प्रश्नकर्ता : लेकिन दादा, ज़रूरत से ज़्यादा ठंडा होना भी एक प्रकार की कमजोरी ही है न?
दादाश्री : ज़रूरत से ज़्यादा ठंडा होने की ज़रूरत ही नहीं। आपको तो लिमिट में रहना है, उसे 'नॉर्मेलिटी' कहते हैं। बिलो