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[१६] बॉस-नौकर का व्यवहार
'स्वतंत्र' बनाए, वह शिक्षण सच्चा! इस प्रकार बहुत जन्मों से पढ़ते रहे हैं और वही का वही वापस पढ़ना? यह तो बच्चा बनकर फिर अस्सी वर्ष का बूढ़ा हो जाता है और फिर मर जाता है। फिर से जब यहाँ पर आता है, तब फिर वापस एक एकम एक, दो एकम दो सीखता है! अरे, यह तो पिछले जन्म में भी पढ़ा था न? लेकिन विस्मृत हो जाता है न? माता के गर्भ में आने पर सबकुछ भूल जाता
प्रश्नकर्ता : सच्चा शिक्षण तो आपके पास है।
दादाश्री : सच कह रहा है, सच्चा शिक्षण 'यही' है, असल शिक्षण 'यही' है। अतः यदि यह हम यहाँ पर पढ़ लें न, तो फिर 'शालाओं' में बहुत नहीं जाना पड़ेगा! मेरे पास से कुछ शिक्षण ले जाए न तो फिर वह स्वतंत्र है और वह कितनी अधिक स्वतंत्रता है न! वर्ल्ड में कोई ऊपरी नहीं, ऐसी स्वतंत्रता! क्योंकि मेरा ऊपरी कोई नहीं है, तब फिर आपका ऊपरी सिर्फ मैं रहा, लेकिन मैं तो बालक जैसा हूँ। छोटा बालक होता है न, वैसा नहीं लगता मैं? लक्षण, निर्दोषता, सबकुछ नहीं दिखता? 'ज्ञानीपुरुष' बालक जैसे होते हैं, वे डाँट-डाँटकर आपको कितना डाँटेंगे? सिर्फ ऐसे 'ज्ञानीपुरुष' ही ऊपरी हों, तो फिर हर्ज नहीं है। मेरा कोई ऊपरी नहीं है और आपका भी ऊपरी कोई नहीं है। खुद का ऊपरी