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जेब कटी ? वहाँ समाधान! (१७)
कटी, वह अभी भुगत रहा है। इसलिए भुगते उसी की भूल । 'अभी कौन रो रहा है' वह देख लेना है। रोनेवाले के लिए समझना कि यही गुनहगार है। भुगते उसी की भूल । चोर जब भुगतेगा, तब उसकी भूल। इस जगत् का न्याय अलग है और कुदरत क्या कहती है? भुगते उसी की भूल । इसलिए शिकायत मत करना । कौन भुगत रहा है वह देख लो, उसी की भूल । यह बात बहुत गहरी है। यह बात यदि समझ में आ जाए तो ठेठ मोक्ष में ले जाए। गहराई से सोचे तो ठेठ मोक्ष में पहुँचा दे और बुद्धि से भूल देखने जाए न तो कभी भी संसार से बाहर निकलेगा ही नहीं। भुगते उसी की भूल पर से आपको समझना है कि यह तो हम भुगत रहे हैं, इसलिए अपनी ही भूल है और वही मोक्ष में जाने का मार्ग है
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इस जगत् में किसी का बंधन नहीं है। लाखों चोरों के बीच रहना पड़े और आप रात को सो जाओ और आपकी जेब में बहुत सारे रुपये हों, लेकिन फिर भी कोई भी चोर आपकी जेब को छू नहीं पाएगा। ऐसा नियमवाला है यह जगत्। और इस जगत् का रेग्युलेटर भी ऐसा है न, वह जगत् को इतना अधिक रेग्युलेशन में रखता है! यानी यह जगत् कोई गप्प नहीं
है।
ये क्रोध-मान-माया-लोभ, ये ही दुःख देनेवाले हैं। बाहर से कोई भी दुःख नहीं देता। ये क्रोध - मान-माया - लोभ हमें क्या सिखलाते हैं कि यह दु:ख है, इस तरह आपको उल्टा रास्ता दिखाते हैं। वर्ना बाहर तो इस जगत् में कोई दोषित है ही नहीं ।
प्रश्नकर्ता : अपना कर्म दोषित है, ऐसा ही है न?
दादाश्री : नहीं, आप खुद ही दोषित हो, दोष और किसी का भी नहीं है। आपकी जेब कट जाए तो जेब कतरे का दोष नहीं है, आपके ही दोष के कारण यह जेब कटी है । पूर्वजन्म