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आप्तवाणी-७
पता चल जाएगा। चार भाईयों में से एकाध अगर पागल हो, तो बाकी सब को तंग करके रख दे! तब वह तंग आकर फिर नक्की करता है कि किसी भी जन्म में मुझे भाई मिले ही नहीं। अरे, बाकी के तीन तो अच्छे हैं न? लेकिन कहेगा, 'नहीं, मुझे अब भाई चाहिए ही नहीं।' यानी कि पागल के साथ के केस तो जैसेतैसे करके हल कर लेना। अक्लमंद का केस हो, तब तो हर्ज नहीं है। लेकिन पागल के साथ तो बहुत मुश्किल है। पहले हम देख चुके हैं कि पागल को तो पूरे गाँव दिए गए हैं। वे बेचारे जन्म से ही पागल, लेकिन वास्तव में यों दिमाग़ से पागल नहीं होते। वे बहुत अक्लमंद होते हैं, लेकिन जगत् के लोगों को वह पागल लगता है। ऐसा क्यों लगता है? कि अत्यधिक स्वार्थी होता है, इसलिए उसे लोग पागल कहते हैं। वे पागल होते ही नहीं हैं, लेकिन उनके इतने अधिक स्वार्थी होने की वजह से यदि कभी उन्हें न दें या कम दें तो वे कलह कर देंगे और केस खिंचता रहेगा। फिर बात का कुछ परिणाम नहीं आता। ये कुत्ते भी यदि भौंक रहें हों न, तब उन्हें एक टुकड़ा रोटी डाल दें, तो भौंकना बंद हो जाता है। उसी तरह अपना हिस्सा छोड़ देना पड़ता है और उसे दे देना पड़ता है, ताकि वे कलह करना बंद कर दें। ___आपको यदि यह कला आ जाएगी तो आप सबकुछ जीतकर निकल जाओगे, वर्ना इस जगत् में जीता नहीं जा सकता। कितने ही प्रकार के लोग हैं और प्रत्येक व्यक्ति के अलग-अलग दिमाग़, तो कहीं पर तालमेल खाएगा ही नहीं न! ...और वीतरागों के साथ लड़े फिर भी आए हल!
वर्ना भगवान को भी पूछनेवाले मिले थे कि, 'आपने ऐसा क्यों किया?' अरे, मुझसे भी पूछते हैं न! क्योंकि उसे अधिकार है। कोई भी व्यक्ति कुछ भी पूछ सकता है। अरे पागलपन भी करते हैं। मुझे तो ऐसा भी कहते हैं कि 'आपमें अक़्ल नहीं है।'