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आप्तवाणी-७
पुण्य की लक्ष्मी है, वर्ना सच्ची लक्ष्मी एक भी क्लेश नहीं होने देती। यानी लक्ष्मी के तो इतने अच्छे गुण हैं !
बिना 'कारण' के 'क्लेम' नहीं होता
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प्रश्नकर्ता : अकारण तो कुछ होता ही नहीं है न?
दादाश्री : जगत् अकारण है ही नहीं । जहाँ अकारण होता है, वहाँ मोक्ष हो जाता है! जब कोई भी 'कारण' नहीं रहे, जहाँ कोई भी क्लेम नहीं रहे, तब इस जगत् का अंत आ जाता है ! यह तो घर के सभी लोगों का क्लेम, ग्राहकों का क्लेम! 'अरे, मेरा नाम क्यों दे रहे हो?' तब कहेंगे, 'ज़रा आप से मिलना था !' यानी क्लेम है सभी का । और फिर इन्कम टैक्सवाला भी बुलाता है, डराता भी है ! किसलिए? क्लेम है। यहाँ पर आए तो कोई कारण होगा या अकारण? यानी बिना कारण के तो आया ही नहीं जा सकता, अकारण कुछ होता ही नहीं। कोई कारण तो होगा ही ! भले ही, आपको सोचना नहीं आए, वह बात अलग है लेकिन बिना कारण के कार्य नहीं होते !
बंधन, वस्तु का या राग-द्वेष का ?
किसी भी क़ीमत पर सभी हिसाब चुकाने हैं। यह पूरा जन्म हिसाब चुकाने के लिए है। जन्म हुआ तब से मरने तक सब अनिवार्य है।
प्रश्नकर्ता : यह दिवालिया निकाले और पैसे नहीं चुकाए, तो उसे फिर दूसरे जन्म में चुकाना पड़ता है?
दादाश्री : उसे फिर पैसा दिखेगा ही नहीं, रुपया उसके हाथ को छुएगा ही नहीं फिर । अपना नियम क्या कहता है? कि रुपये वापस देने के लिए आपका भाव नहीं बिगड़ना चाहिए, तो ज़रूर एक दिन आपके पास रुपये आएँगे और कर्ज़ा चुकाया जा सकेगा। भले ही कितने भी रुपये होंगे, लेकिन अंत में कहीं रुपये