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उलझन में भी शांति! (३)
तो संसार के सार के रूप में क्या मिला?
संसार का सार निकाला है क्या? व्यापार का सार (बैलेन्सशीट) तो हर साल निकालते हो, लेकिन क्या संसार का सार निकाला है कि 'कौन-से बहीखाते में नुकसान है और कौन से बहीखाते में नफा है?' ऐसा आपने नहीं निकाला? ऐसा है न, यह सार सबसे पहले निकालना चाहिए कि भाई, बार-बार इस संसार का आराधन करते हैं, तो यह सही है या गलत है? उसमें फायदा होता है या नुकसान होता है! ऐसा सार नहीं निकालना चाहिए? मैं तो अनंत जन्मों से इस संसार का सार ही निकालता आया था।
कृपालुदेव से किसीने पूछा कि संसार में आपको ऊब होती है क्या, साहब? तब वे क्या बोले? कि, 'संसार में ऊब तो... बहुत समय से ऊब गए हैं।' वे क्यों ऊब गए होंग? क्योंकि सार निकालकर देख लिया था। उसी तरह क्या आपने वैसा सार नहीं निकाला? यानी कि ज्यादा बोरियत नहीं होती न! इसलिए अब सार निकाल लेना। कब तक ऐसा अंधेर राज चलाओगे? और यह राज कोई अंधेर राज नहीं है, यह तो वीतरागों का मत है! आज भगवान के दर्शन कर आए, तो क्या वे आपके घर पर आकर हेल्प करेंगे? वे तो कहते हैं, 'तेरा हिसाब तेरे साथ। मुझे जितने समय तक याद करेगा, उतने समय तो तुझे शांति रहेगी। उसकी गारन्टी देता हूँ, लेकिन अगर मुझे भूल जाएगा तो मार खाएगा!'