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आप्तवाणी-७
हुआ कह रहा है?' अब तो जुड़ने की बिगिनिंग हुई। अब यह तो कन्स्ट्रक्टिव है।
बुखार आया? नहीं, जा रहा है
बुखार जब से प्रकट होता है, तभी से जाने की शुरूआत हो जाती है। जबकि लोग कहते हैं कि 'बुखार आया है।' लेकिन बुखार कौन से दिन आता है? उसका लोगों को पता ही नहीं चलता। यह तो बुखार आने की क्रिया तो हो चुकी है। जब से आपने गलत खाना शुरू किया न, तभी से वह क्रिया शुरू हो गई थी। अब बुखार निकलने की व्यवस्था हुई है और वह बुखार जब जाता है तब पता चलता है। यह बुखार वास्तव में तो जा रहा है। जब से जाने की शुरूआत होती है तब से निर्जरा ( डिस्चार्ज) होती है। जब डिस्चार्ज होने की शुरूआत होती है तब लोग उसे 'बुखार आया' कहते हैं । फिर कहेंगे कि, 'साहब, मेरा बुखार बंद कर दीजिए।' अरे, यह तो बुखार निकलने की शुरूआत हो गई है, लेकिन लोगों को यह बात समझ में नहीं आती न ! क्योंकि सभी लोग कर्ताभाव में पड़े हुए हैं।
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यानी कि जो बिगड़ा है, वह तो न जाने कब से बिगड़ रहा था, लेकिन यह तो अब सुधरने लगा है । सुधरने लगा तब से डॉक्टर मिल जाता है, हथियार मिल जाते हैं, दवाईयाँ मिल जाती हैं, तो वह सुधरने की शुरूआत हो गई।
फ्रैक्चर के बाद, टूटता है या जुड़ता है?
पहले जो कार्य किये थे, जो भावनाएँ की थीं, उसका फल है यह तो । वह डिस्चार्ज हो रहा है ।
प्रश्नकर्ता : 'यह पैर पहले से टूटा हुआ था, अभी नया नहीं टूटा है' वह समझाइए।
दादाश्री : किस तरह फ्रैक्चर हुआ वह, इस तरह जुड़ा,