________________
१७०
आप्तवाणी-७
यह दुःख ऐसी चीज़ है कि तू जहाँ जाएगा वहाँ साथ में आएगा, इसलिए यहीं से दुःख से निवृत्त हो जा। हमें यहाँ पर सौंप दे और निबेड़ा ला दे। वर्ना यदि दुःख से भागा, तो तू जहाँ जाएगा वहाँ पर दुःख साथ में आएगा। हाँ, अतः यहीं पर हिसाब चुका देना पड़ेगा और जो कुछ हो वह आप खुद ही हो। इसलिए ढूँढ निकालो न! आप जो हो, वह बन जाने के बाद कुछ रहा ही नहीं न! भले ही फिर पैर टूट जाए, लेकिन तब भी उस समय आप हो ही! पैर टूटा, वह तो यहाँ पर डिस्चार्ज कर्म के हिसाब चुकाने हैं।