________________
सावधान जीव, अंतिम पलों में (८)
१३३
नहीं आए। उनके मरने के पाँच-सात दिनों बाद से कभी याद तक नहीं आई, वह किसलिए?
दादाश्री : आपका इतना अच्छा है, और माँ-बाप भी इतने पुण्यशाली हैं। यदि आपको याद आती तो उन्हें दुःख होता।
आपको मेरी बात समझ में आ रही है न? इसलिए जब भी याद आए न, तब इतना बोलना कि, 'हे भगवान, यह बेटा आपको सौंपा है!' तब उसका निबेड़ा आएगा।
___ यानी कि बेटे को याद करके उसके आत्मा का कल्याण हो ऐसा मन में बोलते रहना, आँखों में पानी मत आने देना। आप तो जैन थ्योरीवाले व्यक्ति हों। आप तो जानते हो कि आत्मा के जाने के बाद ऐसी भावना करनी चाहिए कि, 'उनके आत्मा का कल्याण हो। हे कृपालुदेव, उनके आत्मा का कल्याण कीजिए!' उसके बजाय यदि आप मन में ढीले पड़ जाओ, तो वह पुसाएगा ही नहीं। अपने ही खुद के स्वजन को दु:ख में डालें, वह अपना काम नहीं है। आप तो समझदार, विचारशील, संस्कारी लोग हो, इसलिए जब-जब याद आए तब ऐसा बोलना कि, 'उनके आत्मा का कल्याण हो! हे वीतराग भगवान, उनके आत्मा का कल्याण कीजिए!' इतना बोलते रहना।
जब भी आपको बेटे की याद आए, तब उसके आत्मा का कल्याण हो, ऐसा कहना। 'कृपालुदेव' का नाम लेना। ‘दादा भगवान' कहोगे तो भी काम होगा, क्योंकि 'दादा भगवान' और 'कृपालुदेव' आत्म स्वरूप से एक ही हैं। देह से अलग दिखते हैं, आँखों से अलग दिखते हैं लेकिन 'वस्तु' के रूप में एक ही हैं। यानी महावीर भगवान का नाम लोगे तब भी वही है। उसके आत्मा का कल्याण हो, निरंतर ऐसी ही भावना करना। जिनके साथ आप निरंतर रहे, साथ में खाया-पीया, तो उसका किस प्रकार से कल्याण हो आपको ऐसी भावना करनी चाहिए। हम लोग औरों के लिए