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सावधान जीव, अंतिम पलों में (८)
अगर यहाँ पर कठोर तप किए हों, अज्ञान तप किए हों तब भूत बनता है, जबकि प्रेत अलग चीज़ है ।
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हर एक के लिए सबसे प्रिय चीज़ क्या है? खुद की जान प्रिय है। मान से भी अधिक जान प्रिय है। मान की भी नहीं पड़ी, क्रोध की भी नहीं पड़ी, लोभ की भी नहीं पड़ी। खुद का जीव प्रिय है, फिर भी देखो न, लोग आत्महत्या करते हैं न! जीव प्रिय है फिर भी लोग आत्महत्या नहीं करते? आत्महत्या क्यों करते होंगे? उन्हें क्या जान प्यारी नहीं होगी? घर के सभी लोग कहते हैं कि, 'आत्महत्या में मत पड़ना, बहन शांति रखो, जाओ सो जाओ चैन से,' फिर भी उठकर पिछली खिड़की से वह बहन भाग गई, उसे समझाते रहे फिर भी ! और जाकर सूरसागर (बड़ौदा का एक तालाब) में कूद गई, उसके बाद शोर मचाने लगी कि, 'मुझे बचाओ, मुझे बचाओ।' क्या तुझे पहले से मना नहीं किया था, तो फिर क्यों कूदी ? और फिर अब, 'बचाओ' करके चिल्ला रही है। अंदर कूदने का जनून चढ़ा था, कूदने से वह उतर गया। ये बोलते रहते हैं न कि, 'मुझे मर जाना है, मर जाना है,' उससे 'सायकोलोजिकल इफेक्ट' हो जाता है, बाद में वह 'इफेक्ट' नहीं उतरता । वह तो सूरसागर में कूदने के बाद भान होता है, तब कहेगी, 'बचाओ, बचाओ ।'
विकल्पों की भी ज़रूरत है
प्रश्नकर्ता : आत्महत्या के विचार क्यों आते होंगे?
दादाश्री : वह तो अंदर विकल्प खत्म हो जाते हैं, इसलिए । यह तो, विकल्प के आधार पर जी पाते हैं । विकल्प खत्म हो जाएँ, बाद में अब क्या करना, उसका कुछ 'दर्शन' नहीं दिखता। इसलिए फिर आत्महत्या करने के बारे में सोचता है। यानी ये विकल्प भी काम के ही हैं ।
सहज रूप से विचार बंद हो जाएँ, तब ये सब ऊँचे विचार आते