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सावधान जीव, अंतिम पलों में (८)
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करनी रह गई, तो अब इसका क्या होगा? बेटे वह समझ गए, इसलिए छोटी बहन को खुद को भेजा, वह कहने लगी, 'पापा जी, मेरी कोई चिंता मत करना, आप अब नवकार मंत्र बोलिए।' तब पापा जी ने उससे तो कुछ नहीं कहा, लेकिन मन में ऐसा समझे कि, 'अभी तो यह बच्ची है न, यह क्या समझेगी?' अरे, जाने का समय हुआ तो सीधा रह न! अभी घंटे-दो घंटे में जाना है, तो बेटी जो कह रही है वह कर न! नवकार मंत्र बोलने लग न! लेकिन क्या हो? नवकार कैसे बोले? क्योंकि उसके कर्म उसे सीधा नहीं रहने देते, उसके कर्म उस घड़ी घेर लेते हैं!
अतः अभी जो कुछ कर रहे हैं, वह मृत्यु के समय एक गुंठाणे (४८ मिनट) तक आकर खड़ा रहेगा। अपने आप ही आकर खड़ा रहेगा। जो-जो पूरी जिंदगी किया है उसका सार उस समय आकर खड़ा रहेगा। अभी जो हाज़िर है, वही मृत्यु के समय हाज़िर। अभी संसार हाज़िर है तो मृत्यु के समय भी संसार हाज़िर, अभी शुद्धात्मा हाज़िर है तो मृत्यु के समय भी शुद्धात्मा हाज़िर। यानी मृत्यु के समय पूरी जिंदगी का फल आता है, कुछ भी करना नहीं पड़ता। हमें खुद याद नहीं रखना है, वह तो अपने आप ही परिणाम आएगा। जैसे अभी परीक्षा दें और फिर रिज़ल्ट आता हैं न, उसके जैसा है।
मनुष्यजीवन की क़ीमत कब पता चलती है? अंतिम घंटे में। तब, 'यह रह गया है, यह कर लूँ, वह रह गया है,' ऐसा होता रहता है, तब समझ में आता है कि मनुष्य जन्म की बहुत क़ीमत है!
अंत समय में स्वजनों की देखभाल प्रश्नकर्ता : किसी स्वजन का अंत समय नज़दीक आया हो, तो उनके प्रति आसपास के सगे-संबंधियों का बरताव कैसा होना चाहिए?