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आप्तवाणी
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देना, तो नौकर के मन में कितना अच्छा लगेगा? नौकर भी आत्मा ही है न? लेकिन पूरे दिन सेठानी किच-किच करती है और फिर एक दिन सेठानी को चाकू मारकर नौकर चला जाता है । आपके वहाँ पर कभी प्याले फूटे थे या नहीं ? फिर कढ़ापा - अजंपा हो जाता था न?
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कढ़ापा - अजंपा, बंद होने पर भगवान पद
यह कढ़ापा - अजंपा बंद हो जाए न, तो वह इंसान क्या कहलाएगा? वह इंसान भगवान कहलाएगा। क्योंकि लोग क्या कहते हैं कि मनुष्य कढ़ापे - अजंपे रहित हो ही नहीं सकता। किसी के प्याले फूट जाएँ और कढ़ापा - अजंपा हो, और किसी का पेन खो जाए तब कढ़ापा-अजंपा होता है। किसी की गाड़ी उसके ड्राइवर ने ज़रा खराब कर दी हो तो उसे कढ़ापा - अजंपा हो जाता है। कुछ न कुछ कढ़ापा - अजंपा हुए बगैर रहता ही नहीं। किसी का डाइनिंग टेबल किसी ने बिगाड़ दिया हो तो उसे कढ़ापा - अजंपा हो जाता है। पूरे दिन कढ़ापा - अजंपा ही करता रहता है। जिसका कढ़ापा-अजंपा गया, उसे जगत् भगवान ही कहता है !
कढ़ापा और अजंपा, भिन्नता क्या ?
आप दोनों को पहचानते हो या एक को पहचानते हो? प्रश्नकर्ता : दोनों को पहचानता हूँ।
दादाश्री : ऐसा ! इन दोनों में से बड़ा भाई कौन है ? प्रश्नकर्ता : कढ़ापा ( कुढ़न, क्लेश) ही बड़ा है।
दादाश्री : हाँ, कढ़ापा बड़ा और भोला है । और अजंपा तो छोटा और कपटी है । अतः जब कोई कढ़ापा करे तब लोग भी कहेंगे कि, 'भाई, दो प्याले फूट गए उसमें इतना कढ़ापा क्यों कर रहे हो?' घरवाले भी कहेंगे कि, 'भले ही फूट गए, आप बैठो न चैन से, ज़रा शांति रखो न !' कढ़ापा भोला है न, इसलिए