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लक्ष्मी की चिंतना (२)
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लक्ष्मी के लिए कहीं हाय-हाय की जाती होगी? और उसके लिए हाय-हाय करके कोई संतुष्ट हुआ है? इस दुनिया में किसी का भी पहला नंबर आया हो, ऐसा लगा? यहाँ मुंबई म्युनिसिपालिटी में किसी का नाम नोट किया गया है कि यह फर्स्ट नंबर पर
आया और यह सेकन्ड नंबर पर आया, ऐसे नाम नोट किए गए हैं? यह तो जन्म लेता है, करोड़ों रुपये कमाता है और फिर मर जाता है। कुत्ते की मौत मर जाता है। कुत्ते की मौत किसलिए कहता हूँ कि डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है। पहले तो लोग इंसान की मौत मरते थे। वे क्या कहते थे कि, 'भाई, अब मेरे जाने का समय हो गया है।' तब फिर घरवाले दीया करते और आजकल तो अंतिम घड़ी में बेहोश हो जाता है। कुत्ते भी मरते समय बेहोश नहीं होते।
जितना स्मरण, उतना वियोग एक भाई आए थे। उन बेचारे को व्यापार में हर महीने नुकसान होता था, वे पैसों के लिए हाय-हाय करते थे। मैंने उनसे कहा कि पैसों की बात क्यों कर रहे हो? पैसे को तो याद करना ही बंद कर दो। लेकिन तब से उनके पैसे बढ़ने लगे। तब हर महीने तीस हज़ार रुपयों का फायदा होने लगा। नहीं तो पहले बीस हजार रुपये का नुकसान होता था। क्योंकि पैसों को याद करते रहते थे न! पैसों को कभी याद किया जाता होगा? लक्ष्मी जी तो भगवान की पत्नी कहलाती हैं। भला उनका नाम लेना चाहिए?
लक्ष्मीवान की तो, सुगंधी आए! यदि लक्ष्मी जी सुगंध सहित हों तो भगवान ने भी हमेशा उसका स्वीकार किया है। मुंबई में इतने लक्ष्मीवान हैं लेकिन सुगंध आई है किसी की भी? ।
प्रश्नकर्ता : कोई तो होगा न?