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षड्जीवनिकाय - विराधना न करने का उपदेश
पंचम अध्ययन : पिण्डैषणा
प्राथमिक
गोचरी (भिक्षाचर्या) के लिए गमनविधि
ब्रह्मचर्य व्रत रक्षार्थ : वेश्यालयादि के निकट से गमन-निषेध भिक्षाचर्या के समय शरीरादि चेष्टा-विवेक
गृह-प्रवेश- विधि - निषेध
आहार - ग्रहण - विधि-निषेध
अनिसृष्ट- आहार-ग्रहणनिषेध और निःसृष्ट ग्रहणविधान
गर्भवती एवं स्तनपायिनी नारी से भोजन लेने का निषेध-विधान
शंकित और उद्भिन्न दोषयुक्त आहार ग्रहणनिषेध
दानार्थ- प्राकृत आदि आहार ग्रहण का निषेध औद्देशिकादि दोषयुक्त आहार - ग्रहणनिषेध
उद्गम दोष निवारण का उपाय
वनस्पति - जल- अग्नि पर निक्षिप्त आहार ग्रहणनिषेध
अस्थिर शिलादि-संक्रमण करके गमन-निषेध और कारण
'मालापहृत' दोषयुक्त आहार अग्रा आमक वनस्पति ग्रहण- निषेध
सचित्तरज से लिप्त वस्तु भी अग्राह्य
बहु - उज्झितधर्मा फल आदि के ग्रहण का निषेध पान-ग्रहण- निषेध-विधान
भोजन करने की आपवादिक विधि
साधु-साध्वियों के आहार करने की सामान्य विधि
मुधादायी और मुधाजीवी की दुर्लभता और दोनों की सुगति
पात्र में गृहीत समग्र भोजन सेवन का निर्देश
पर्याप्त आहार न मिलने पर पुनः आहार - गवेषणा - विधि
यथाकल्पचर्या करने का विधान
भिक्षार्थ गमनादि में यतना-निर्देश
चित्त, अनिर्वृत्त, आमक एवं अशस्त्र - परिणत के ग्रहण का निषेध
सामुदानिक भिक्षा का विधान
दीनता, स्तुति एवं कोप आदि का निषेध
स्वादलोलुप और मायावी साधु की दुवृत्ति का चित्रण और दुष्परिणाम
मद्यपान : स्तैन्यवृद्धि आदि तज्जनित दोष एवं दुष्परिणाम समाचारी के सम्यक् पालन की प्रेरणा : उपसंहार
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