Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shayyambhavsuri, Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Pushpavati Mahasati
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 480
________________ प्रथम परिशिष्ट : दशवैकालिकसूत्र का सूत्रानुक्रम जत्थ पुप्फाई बीयाई जत्थेव पासे कई दुप्पउत्तं जयं चरे जयं चिट्ठे जया ओहाविओ होइ जया कम्मं खवित्ताणं बहुवि जया चयइ संजोगं जया जीवमजीवे य जया जोगे निरुंभित्ता जया धुणइ कम्मरयं या निव्विंदि भ जया पुण्णं च पावं च जया मुंडे भवित्ताणं जया य चयई धम्मं जया य थेरओ होइ जयाय पूइमो हो जया य माणिमो होइ जया य वंदिमो होइ जया लोगमलोगं च जया संवरमुक्कि जया सव्वत्तगं नाणं जरा जाव न पीलेइ जस्संतिए धम्मपयाई सिक्खे जस्सेरिसा जोग जिइंदियस्स जस्सेवमप्पा हवेज्ज निच्छिओ जहा कुक्कुडपोयस्स जादुमपुप्फे जहा निसंते तवणऽच्चिमाली जहा ससी कोमुइजो जुत्ते जहाऽऽहियग्गी जलणं नमसे जं जाणेज्ज चिराधोयं जंपि वत्थं व पायं वा तंपि जंपि वत्थं व पायं वा न ते १०३ ५७३ ६२ ५४४ ७९ ६९ ७२ जं भवे भत्तपाणं तु जारं चत्तारिऽ भोज्जाई ६८ जा य सच्चा अवत्तव्वा ७८ जावंति लोए पाणा ७५ जिणवयणरए अतिंतिणे ७१ जुवंगवेत्ति णं बूया ७० ५४६ ५४७ ५४५ ७७ जाइमंता इमे रुक्खा जाई - मरणाओ मुच्चइ जाए सद्धाए निक्खंतो जाणंतु ता इमे समणा जायतेयं न इच्छंति जे आयरिय- उवज्झायाणं ७३ जेण बंधं वहं घोरं ५४३ जे न वंदे, न से कुप्पे ५४८ जे नियागं ममायंति ४६३ ५७४ ५५८ ४४१ जे माणिया सयय माणयंति जे य कंते पिए भोए जे य चंडे मिए थद्धे जे यावि चंडे मइ - इड्डि-गारवे जे यावि नागं डहरेत्ति नच्चा ७४ ७६ जे यावि मंदेत्ति गुरुं विदित्ता ४२३ जोगं च समणधम्मम्मि जो जीवे वि न याणाति जो जीवे वि वियाणाति जो पव्वयं सिरसा भेत्तुमिच्छे जो पावगं जलियमवक्कमेजा २ जो पुव्वरत्तावरत्तकाले ४६५ जो सहइ हु गामकंटए णाण- दंसण संपन्नं ४६६ ४६२ तओ कारणमुप्पन्ने १८९ २८२ तणरुक्खं न छिंदेज्जा तत्तो वि से चइत्ताणं ३०१ तत्थ से चिट्ठमाणस ३९७ १४१ ३०९ ३६२ ५२० ४४८ २४७ २९५ ३३३ २७२ ५१८ ३५६ ४८० ४८२ २४३ ३११ ५०४ ८ ४७१ ४९० ४५५ ४५३ ४३० ६६ ६७ ४५९ ४५७ ५७१ ५३१ ३८० २१६ ३९८ २६१ १०९

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