Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Shayyambhavsuri, Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Pushpavati Mahasati
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 485
________________ २४९ ४१९ ४०२ दशवैकालिकसूत्र संखडिं संखडिं बूया ३६८ सुरं वा मेरगं वा वि संघट्टइत्ता काएणं ४८६ सुहसायगस्स (सीलगस्स) समणस्स संजमे सुट्ठिअप्पाणं १७ से गामे वा नगरे वा संतिमे सुहुमा पाणा घसासु ३२४ से जाणमजाणं वा | संतिमे सुहमा पाणा तसा २८६ से जे पुण इमे अणेगे बहवे तसा पाणा+ संथार-सेज्जाऽऽसणभत्तपाणे ४९६ सेज्जा निसीहियाए संपत्ते भिक्खकालम्मि ८३ सेजायरपिंडं च संवच्छरं वा वि परं पमाणं ५७० सेडियगतेण हत्थेण संसद्वेण हत्थेण १३३ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा संजयविरय.... साणं सूइयं गाविं ९४ से अगणिं+ साणी-पावार-पिहियं १०० से भिक्खू वा भिक्खुणी वा संजयविरय.... सालुयं वा विरालियं २३१ से उदगं वा+ साहटु निक्खिवित्ताणं ११२ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा संजयविरय.... साहवो तो चियत्तेणं २०८ से कीडं वा+ सिक्खिऊण भिक्खेसणसोहिं २६३ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा संजयविरय.... सिणाणं अदुवा कक्कं ३२६ से पुढविं वा+ सिणेहं पुप्फसुहुमं च ४०३ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा संजयविरय.... सिया एगइओ लर्बु लोभेण २४४ से बीएसु वा+ सिया एगइओ लई विविहं २४६ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा संजयविरय.... सिया य गोयरग्गओ १९५ से सिएण वा+ सिया य भिक्खु इच्छेज्जा २०० सोचा जाणाइ कल्लाणं सिया य समणट्ठाए १३७ सोचाण मेहावि सुभासियाई ४६८ सिया हु सीसेण गिरिपि भिंदे ४६० सोरट्ठियगतेण हत्थेण १२८ सिया हु से पावय नो डहेजा ४५८ सोवच्चले सिंधवे लोगे २४ सीओदगं न सेवेज्जा ३९४ हत्थं पायं च कायं च सीओदग-समारंभे ३१४ हत्थ-पाय-पडिच्छिन्नं ४४३ सुकडे त्ति सुपक्के त्ति ३७२ हत्थसंजए पायसंजए ५३५ सुक्कीयं वा सुविक्कीयं ३७६ हरितालगतेण हत्थेण १२० सुद्धपुढवीए न विसिए ३९३ हले-हले त्ति अन्ने त्ति ३४७ +सुयं मे आउसं! तेण भगवया एवमक्खायं हंदि धम्मत्थ-कामाणं इह खलु छज्जीवणिया ३२ हिंगुलुयगतेण हत्थेण +सुयं मे आउसं! तेण भगवया एवमक्खायं इह खलु हे हो हलेत्ति अन्नेत्ति ३५० थेरेहिं भगवंतेहिं चत्तारि विणयसमाहिट्ठाणा.. ५०७ होज कटुं सिलं वा वि १७८ सुयं वा जइ वा दिटुं ४०९ + इस चिह्न से अंकित सूत्र गद्य-पाठात्मक है। सं. ६५ ४३२ २६७ १२१

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