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0 नीचे हम अनाचारों को सुगमता से समझने के लिए कारण निर्देशपूर्वक एक तालिका दे रहे हैं। क्रम नाम
अर्थ
अनाचार का कारण १. औद्देशिक साधु के निमित्त बना आहार आदि लेना . जीववध २. क्रीतकृत साधु के निमित्त खरीदा हुआ आहार लेना अधिकरण ३. नित्याग्र निमंत्रित होकर नित्य आहार लेना भोजन-समारम्भ मुनि के लिए अभिहृत
सामने लाया हुआ आहार लेना । षट्जीवनिकाय का वध रात्रिभोजन
जीववध स्नान
विभूषा एवं उत्प्लावन ७. गन्धविलेपन सुगन्धित पदार्थों का लेप करना विभूषा तथा आरम्भ ८. माल्यधारण माला आदि धारण करना
पुष्पादि के जीवों की हिंसा ९. बीजन पंखे आदि से हवा लेना
..वायुकायिक संपातिम जीववध १०. सन्निधि खाद्य-पेय आदि वस्तुओं को संचित चींटी आदि जीवों की हानि
करके रखना ११. गृहि-अमत्र गृहस्थ के बर्तन में भोजन करना अप्कायिक जीववध, गुम हो
जाने पर आपत्ति १२. राजपिण्ड अभिषिक्त राजा के लिए बना आहार लेना भीड़ के कारण विराधना तथा
गरिष्ठ भोजन से एषणा-घात १३. किमिच्छक क्या चाहिए ? पूछ कर दिया हुआ निमित्त दोष
आहारादि लेना संबाधन शरीरमर्दन, पगचंपी आदि कराना सूत्र और अर्थ की हानि दंतप्रधावन दांतों को धोना
विभूषा १६. सम्पृच्छन गृहस्थों से सावध प्रश्न करना, पाप का अनुमोदन
पूछताछ करना १७. देहप्रलोकन दर्पण आदि में मुख शरीरादि देखना विभूषा, अहंकार, ब्रह्मचर्यविघात १८. अष्टापद शतरंज खेलना
अदत्त का ग्रहण, लोकापवाद नालिका एक प्रकार का जूआ खेलना • अदत्त का ग्रहण, लोकापवाद २०. छत्रधारण छाता लगाकर चलना
अहंकार, लोकापवाद २१. चिकित्सा सावध उपचार कराना
हिंसा, सूत्र और अर्थ की हानि
१०. (क) दशवै. (आचार्य आत्मारामजी म.), पृ. ३४ से ५२ तक
(ख) अगस्त्य. चूर्णि, पृ. ६२-६३
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