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दशवैकालिकसूत्र
जीवितपर्यवेण—जीवितपर्याय का यहां आशय है जीवन का अवसान (मरण) । किलेसवत्तिणो — एकान्त क्लेशवृत्ति वाले। अथवा क्लेशमय जीवनवृत्त वाले ।
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उवेंत वाया—प्रबल वेगपूर्ण गति से आता हुआ प्रचण्ड महावायु ।
आयं उवायं : आयं उपाय — आय का अर्थ है – लाभ – सम्यक् ज्ञान, विज्ञान आदि की प्राप्ति, और उपाय का अर्थ है—–उन (ज्ञानादि) को प्राप्त करने के (विनय) आदि सांधन । जिणवयणमहिट्टिज्जासि – जिनवचनों का आश्रय ले । भावार्थ यह है कि जिनवचनानुकूल क्रिया करके स्वकार्य सिद्ध करे ।
॥ रतिवाक्या : प्रथम चूलिका समाप्त ॥
[ ॥ ग्यारहवां रतिवाक्या नामक अध्ययन सम्पूर्ण ॥ ]