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सप्तम अध्ययन : वाक्यशुद्धि संखडी एवं नदी के विषय में निषिद्ध तथा विहित वचन
३६७. तहेव संखडिं नच्चा, किच्चं कजं ति नो वए ।
तेणगं वावि वझे त्ति, सुतित्थे त्ति य आवगा ॥ ३६॥ ३६८. संखडिं संखडिं बूया, पणियटुं ति तेणगं ।
बहुसमाणि तित्थाणि आवगाणं वियागरे ॥ ३७॥ ३६९. तहा नईओ पुण्णाओ कायतिज त्ति नो वए ।
नावाहिं तारिमाओ त्ति, पाणिपेजत्ति नो वए ॥ ३८॥ ३७०. बहुवाहडा अगाहा बहुसलिलुप्पिलोदगा ।
बहुवित्थडोदगा यावि एवं भासेज पण्णवं ॥ ३९॥ [३६७] इसी प्रकार (दयालु साधु को) जीमणवार (संखडी) और कृत्य (मृतकभोज) जान कर ये करणीय हैं (अथवा ये पुण्यकार्य हैं), अथवा (यह) चोर मारने योग्य है, तथा ये नदियां अच्छी तरह से तैरने योग्य अथवा अच्छे घाट वाली हैं, इस प्रकार (सावद्य वचन) नहीं बोलना चाहिए ॥ ३६॥
[३६८] (प्रयोजनवश कहना पड़े तो) संखडी को (यह) संखडी है तथा चोर को 'अपने प्राणों को कष्ट में डाल कर स्वार्थ सिद्ध करने वाला' कहे। और नदियों के तीर्थ (घाट) बहुत सम हैं, इस प्रकार विचार करके बोले ॥३७॥
___ [३६९] तथा ये नदियां जल से पूर्ण भरी हुई हैं, शरीर (भुजाओं) से तैरने योग्य हैं, इस प्रकार न कहे। तथा ये नौकाओं द्वारा पार की जा सकती हैं, एवं प्राणी (तट पर बैठ कर सुखपूर्वक़ इनका जल) पी सकते हैं, ऐसा भी न बोले ॥ ३८॥
[३७०] (प्रयोजनवश कभी कहना पड़े तो) (ये नदियां) प्रायः जल से भरी हुई हैं, अगाध (अत्यन्त गहरी) हैं, (इनका जलप्रवाह) बहुत-सी नदियों के प्रवाह को हटा रहा है, अतः ये बहुत विस्तृत जल (चौड़े पाट) वाली हैं—प्रज्ञावान् भिक्षु इस प्रकार कहे ॥ ३९॥
विवेचन संखडी आदि के विषय में अवाच्य-वाच्य-वचनविवेक प्रस्तुत चार सूत्रगाथाओं (३६७ से ३७० तक) में संखडी, चोर, नदी के घाट, नदी के पानी आदि के विषय में साधु-साध्वी को कैसे वचन नहीं कहने चाहिए? और कैसे कहने चाहिए, इसका विवेक बताया गया है।
संखडी आदि के सम्बन्ध में अवाच्य वचन कहने में दोष (१) कोई साधु या साध्वी किसी ग्राम, नगर या कस्बे आदि में जाए और वहां किसी गृहस्थ के यहां श्राद्ध, भोज आदि की जीमनवार होती हुई देखे, तब मुनि इस प्रकार से न बोले कि–'यह श्राद्ध या मृतकभोज अथवा जीमणवार गृहस्थ को अवश्य करने चाहिए, ये कार्य पुण्यवर्द्धक हैं।' क्योंकि इस प्रकार कहने से भोजन तैयार करने में होने वाले आरम्भ-समारम्भ का अनुमोदन होता है जो हिंसाजनक है तथा ऐसे अयोग्य वचन कहने से मिथ्यात्व की वृद्धि होती है। साधुवर्ग की जिह्वालोलुपता द्योतित