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दशवैकालिकसूत्र : परिचय
विषयानुक्रम
प्रथम अध्ययन : द्रुमपुष्पिका
प्राथमिक
मंगलाचरण
श्रमणधर्म - भिक्षाचरी और मधुकर - वृत्ति श्रमणधर्मपालक भिक्षाजीवी साधुओं के गुण
द्वितीय अध्ययन : श्रामण्यपूर्वक
प्राथमिक
कामनिवारण के अभाव में श्रामण्यपालन असंभव
अत्यागी और त्यागी का लक्षण
काम-भोग निवारण के उपाय
काम - पराजित रथनेमि को संयम में स्थिरता का राजीमती का उपदेश
राजीमती के सुभाषित का परिणाम
समस्त साधकों के लिए प्रेरणा
तृतीय अध्ययन : क्षुल्लकाचार - कथा
प्राथमिक
निर्ग्रन्थ महर्षियों के लिए अनाचीर्ण अनाचीणों के नाम
निर्ग्रन्थों के लिए पूर्वोक्त अनाचीर्ण अनाचरणीय
निर्ग्रन्थों का विशिष्ट आचार
शुद्ध श्रमणाचार- पालन का फल
चतुर्थ अध्ययन : षड्जीवनिका
प्राथमिक
षड्जीवनिकाय : नाम, स्वरूप और प्रकार षड्जीवनिकाय पर अश्रद्धा - श्रद्धा के परिणाम
दण्डसमारम्भ के त्याग का उपदेश और शिष्य द्वारा स्वीकार शिष्य द्वारा सरात्रिभोजनविरमण पंच महाव्रतों का स्वीकार अहिंसा महाव्रत के संदर्भ में : षट्काय- विराधना से विरति अयतना में पापकर्म का बन्ध और यतना से अबन्ध
जीवादि तत्त्वों के ज्ञान का महत्त्व
आत्मशुद्धि द्वारा विकास का आरोहक्रम सुगति की दुर्लभता और सुलभता
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