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प्रस्तावना
छोड़ रहा है। कितने ही इतिहासज्ञ लोगों का अभिमत है कि इन आधुनिक पुराणों की रचना प्रायः ई०३०० से ८०० के बीच में हुई है।
जैसा कि जैनेतर धर्म में पुराणों और उपपुराणों का विभाग मिलता है वैसा जैन समाज में नहीं पाया जाता है । परन्तु जैन धर्म में जो भी पुराण-साहित्य विद्यमान है वह अपने ढंग का निराला है । जहाँ अन्य पुराणकार इतिवृत्त की यथार्थता सुरक्षित नहीं रख सके हैं वहाँ जैन-पुराणकारों ने इतिवृत्त की यथार्थता को अधिक सुरक्षित रखा है, इसलिए आज के निष्पक्ष विद्वानों का यह स्पष्ट मत हो गया है कि 'हमें प्राक्कालीन भारतीय परिस्थिति को जानने के लिए जैन-पुराणों से, उनके कथा-ग्रन्थों से जो साहाय्य प्राप्त होता है वह अन्य पुराणों से नहीं । कतिपय दि० जैन-पुराणों के नाम इस प्रकार हैं :
कर्ता
रचना संवत् ७०५ हवीं शती १०वीं शती १७१६ ६४१ ई० १७वीं शती १५वीं शती
पुराण नाम १. पद्मपुराण (पद्मचरित) २. महापुराण (आदिपुराण) ३. उत्तरपुराण ४. अजितपुराण ५. आदिपुराण (कन्नड) ६. आदिपुराण ७. आदिपुराण ८. उत्तरपुराण ६. कर्णामृतपुराण १०. जयकुमारपुराण ११. चन्द्रप्रभपुराण १२. चामुण्डपुराण (क) १३. धर्मनाथपुराण (क) १४. नेमिनाथपुराण १५. पद्मनाभपुराण १६. पउमचरिय (अपभ्रंश) १७. " " १८. पद्मपुराण १६. पमपुराण २०. , (अपभ्रंश)
१६८८ १५५५
रविषेण . जिनसेन गुणभद्र अरुणमणि कवि पंप भट्टारक चन्द्रकीर्ति
, सकलकीर्ति
, सकलकीर्ति केशवसेन ब्र० कामराज कवि अगास देव चामुण्डराय कवि बाहुबलि ब्र० नेमिदत्त भ० शुभचन्द्र चतुर्मुख देव स्वयंभूदेव भ० सोमसेन भ० धर्मकीति कवि रइधू भ. चन्द्रकीर्ति ब्रह्मजिनदास भ० शुभचन्द्र भ० यशःकीर्ति भ. श्रीभूषण भ० वादिचन्द्र पप्रकीति कवि रइधू चन्द्रकीर्ति
शक सं०६८० १५६० ई. १५७५ के लगभग १७वीं शती अनुपलब्ध ७८३ ई० वि. १७वीं शती
२१.
"
२२... , २३. पाण्डवपुराण २४. , (अपभ्रंश) २५. " २६. , २७. पार्श्वपुराण (अपभ्रंश) २८. " (..) २६. ,
१५-१६वीं शती १७वीं शती १५-१६वीं शती १६०८ १४६७ १६५७ १६५८ ९९९ १५-१६वीं शती १६५४