________________ (कितने प्रकार?) सामायिक के कितने प्रकार हैं ? (15) (किसको?) सामायिक किसको होती है ? (16) (कहां?) सामायिक की प्राप्ति कहां होती है? (17) (किसमें?) किन-किन द्रव्यों में (नयों के अनुसार) सामायिक होती है ? (18) (कैसे?) सामायिक की प्राप्ति कैसे? (19) (कितने समय तक?) सामायिक की स्थिति कितने समय तक? (20) (कितने?) सामायिक के प्रतिपत्ता कितने? (21) (सान्तर-) सामायिकप्राप्ति में अन्तरकाल, (22) (अविरहित) -सामायिक प्राप्ति में मध्य अन्तरकाल, अर्थात् एक सामायिक की प्राप्ति के बाद दूसरी सामायिक कितने समय तक? (23) (भव-) सामायिक प्रतिपत्ता के जघन्यतः व उत्कृष्टतः कितने भव? (24) (आकर्ष-) एक या अनेक भवों में सामायिक कितनी बार उपलब्ध होती है? (25) (स्पर्शना-) सामायिक का कर्ता कितने क्षेत्र का स्पर्श करता है? (26) (निरुक्त-) सामायिक के निरुक्त अर्थात् एकार्थक (पर्यायवाची) शब्द कितने या कौन-कौन ? उपोद्घात (नियुक्ति) के बाद सूत्रस्पर्शिक नियुक्ति (व्याख्या) प्रारम्भ होती है। प्रत्येक सूत्र पर (1) सूत्रानुगम, (2) सूत्रालापक, (पूरे सूत्र का निक्षेप कथन), (3) सूत्रस्पर्शिक नियुक्ति, एवं (4) नय- ये चारों ही युगपत् विवक्षित हैं। सूत्रानुगम में सूत्र का उच्चारण किया जाता है, तथा इसकी निर्दोषता निश्चित हो जाय, तब पदच्छेद-पूर्वक पृथक्-पृथक् पदों का कथन किया जाय, तदनन्तर सूत्रालापकों (पूरे सूत्रगत पदों) का निक्षेपपद्धति से कथन किया जाय, इसके बाद 'व्याख्या' प्रारम्भ होती है और यही सूत्रस्पर्शिक नियुक्ति है। इसमें 'नयों' का आधार भी लिया जाता है। ____ 'सूत्रालाप' द्वारा जो अर्थ निरूपित हो चुका होता है, उसी से सम्बन्धित विषयों का विस्तृत व्याख्यान ही 'सूत्रस्पर्शिक नियुक्ति होती है। सूत्रस्पर्शिक व्याख्यान के छः आयाम (प्रकार) हैं- (1) सूत्र, (2) पद, (3) 43. विशेषावश्यक भाष्य, गाथा-1484-85, तथा गाथा 971 की बृहद्वृत्ति। 44. विशेषावश्यक भाष्य, गाथा-1000. तदेवं सूत्रानुगमोऽपि अनुगमप्रथमभेदः, तथा सूत्रालापकगतश्च निक्षेपो निक्षेपद्वारतृतीयभेदः, तथा सूत्रस्पर्शिका नियुक्तिः नियुक्ति-अनुगम-तृतीयभेदः, तथा नयाश्च चतुर्थानुयोगद्वारोपन्यस्ताः, समकं युगपत् प्रतिसूत्रं व्रजन्ति गच्छन्ति- इति (बृहवृत्ति, भाष्य, गाथा-1001)। 45. तदेवंभूतं सूत्रं सूत्रानुगमे उच्चारणीयम्, तस्मिंश्च उच्चारिते कदा सूत्रस्पर्शिकनियुक्तेरवसरो भवति? सूत्रानुगमावसरत्वात् सूत्रे अनुगते उच्चारिते इति....शुद्धमिदम् –इत्येवं निश्चिते, तथा व्याख्यानावसरत्वादेव....इत्यादिपदच्छेदे कृते, तथा सूत्रालापकानां यथासम्भवं नामस्थापनादिन्यासे निक्षिप्ते न्यस्ते विहते, ततः तद-व्याख्यानार्थं सूत्रस्पर्शिकनिर्युक्ते: व्यापारः (बृहद्वृत्ति, वि. भाष्य, . गाथा-1000)। 46. विशेषावश्यक भाष्य, गाथा- 1008, 47. सूत्रस्पर्शिकनिर्युक्तौ सूत्रालापद्वारा आयातस्य सामायिकस्य अर्थविचारः क्रियते, न तु सामायिकनाम्नः (बृहद्वृत्ति, वि. भाष्य, गा. 967) / RBRBRBRBRBOBOR@@cs [44] RB0BCRBOBORD OR CROR