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CSCI501525IOTSTR5 विधानुशासन 98512150150151215805
सं सिद्ध सर्व रक्षारख्यो मंत्रोयं सार्यकार्मिकैः
अनेन विहितं स्नानं शांत्यादिशुभकर्मकृत यह सर्व रक्षा मंत्र सब कार्यो को सिद्ध करता है। इस मंत्र से स्नान करने से शांति आदि उत्तम कार्य होते हैं।
ॐनमोभगवतेपावचंद्राय अष्टमहासिद्धिकराया लूतिज्पाला गहनावशूलमूल व्याधि दुष्ट वण विनाशाय अनेक विधि विष संहाराय छिंद छिंद भिंद भिंद ज्वाला ग्रह संतापं हन हन रण रण रूण रूण कुण कुण सिलि सिलि चिलि चिलि मिलि मिलि कलि कलि ॐ हां हंसःहीं हंसः ॐ हूं हंसः ॐ ह्रौं हंसः ॐ हूं: हंस ग्लौं धमं ठः ठः स्वाहा।।
. सर्वव्याधि हरी मंत्र :श्री पार्श्वस्य जिनेशिनः जपे होमादिनानित्यं सर्वकर्म करो भवेत्
॥१॥ यह श्री पार्श्वनाथ स्वामी का सर्वव्याधि हरण मंत्र जप होम इत्यादि से सदा ही सब कार्यो को करता
है।
ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय फणामणि मंडिताय कमठ विध्वंसनायसर्वग्रहोच्याटनाय सर्वविषहराय सर्वशांतिकांतिचकुरूकुरू ॐ ह्रां ही हूँ ह्रौं हः असि आउसा मम सर्व शांति कुरू कुरू स्वधा स्वाहा ॥
श्रीमतः पार्श्वनाथस्य मंत्रः सर्वार्थसाधन:
_ शांति पुष्टि करोत्येव मंत्राराधन योगतः यह श्री पार्श्वनाथ स्वामी का मंत्र सब प्रयोजनों को सिद्ध करने वाला है मंत्र सिद्ध होने से शांति और पुष्टि करता है।
ॐ ह्रीं पद्मावती नालिकरं भ्रामय भ्रामय शीयं शीघं हुं फट् स्वाहा ॥
अयं पद्मावती देव्या मंत्रः कंभस्य भ्रामक:
नालिकेरो भ्रमत्याश्रुमंत्र स्वास्य प्रभावतः यह कुंभ (घड़े) को घुमाने वाला पद्मावती देवी का मंत्र अपने प्रभाव से शीघ्र ही नारियल को घुमाता
है।
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