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विधानुशासन 9595959599
निंब श्लेष्मांतक कदली भुजंग निर्मोके निम्मितो धूपः यौनौ दत्तौ कुर्यात् कन्याया पुष्प संभूतिं नीम लिसोड़ा केला और सर्प की कांचली की बनाई हुई धूप को योनि में देने से कन्या भी रजोवती हो जाती है।
॥ ३९ ॥
निर्यासमासनं नारी पिबेत् क्षीरेण कल्कितं नष्टावर्त समद्भूतिं पुनरातंव जन्मनः
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विजयसार अथवा पीले रंग के शालि वृक्ष के गोंद के दूध के साथ कल्क बनाकर यदि स्त्री पीवे तो नष्ट रज फिर प्रकट होने लगता है।
गन्धिता
गुड तैरा बुता स्वारीता निपीता दुष्टं योनिनां लोहितां योनि दोषहत
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गुड़ तेल और खारेक (छुवारे) के काथ में नमक मिलाकार पीने से अशुद्ध योनि वाली स्त्री के योनि दोष दूर हो जाते हैं।
दल मूलानि नलिन्या कुष्टं मुसिरं नतं हिमं कृष्ण एरंड शिफां च पिबेत् गर्भाशयशो धनाय गोपयसां
॥ ४२ ॥
कमल के पत्तों की जड़ कूठ मीठा खस तगर सफेद चंदन अगर और एरंड़ की जड़ को गर्भाशय के दोष दूर करने के वास्ते गाय के दूध के साथ पीवे।
लोय आमलक हरिद्राहरीतिक खदिर सार संभूति काथं शोचन द्रबेवरि स्योयोनि दोष हर
॥ ४३ ॥
पठानी लोध आमला हल्दी हरड़े और कत्थे के क्वाथ से योनि शोधन करकने से उसके दोष दूर
होते हैं ।
कटुकालांब संसिद्ध तैलं सभ्यंजनाद्भवेत् योनि दोष हरं नार्या गर्भ मुत्पादयेंदऽपि
॥ ४४ ॥
कड़वी तूंबी में सिद्ध किये हुये तेल को मलने से स्त्रीयों के योनि दोष दूर होकर गर्भ रह जाता
है ।
कुमुदेन स तालेन स सूक्ष्मैलेन लेपनं पिष्टेन वाराण त्रीन् स्त्रीणां योनि दोष निवहणं
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कमल ताड़ और छोटी इलायची को पीसकर स्त्री की योनि में तीन बार लेप करने से योनि दोष दूर होकर गर्भ स्थित हो जाता है।
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