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CTERISTS1501501505 विधानुशासन 75101505DIDIO51015
शिरवंडिका शिफा कल्कं तांबलेन निसेवितं
साद्ध स्त्रियाः प्रसूताया स्तन्य वृद्धिः क्षणं भवेत् ॥५८॥ शिखंडिका (गुंजा चिरमी) की जड़ के कल्क को ताखूल (पान) के साथ सेवन करने से स्तन का दूध क्षणमात्र में बढ़ जाता है।
आम मूलः साहं वाटी पदने घतः स्तन कीलं विनश्यति स्तन्य वद्धिश्च हीयते
||५९॥ आराम मूल को सात दिन तक मुँह में रखकर चबाते रहने से पक्का थनेला भी दूर हो जाता है।
निशाकुमारी कंदाभ्यां विसाला शिफया
अथवा स्तनदोष समुत्पन्नं हन्या लेप स्तन व्यथा ॥६०॥ हल्दी और घृतकुमारी (गंवार पाठा) के कंद से अथवा इंद्रायण की जड़ के लेप से स्तन की बिमारियाँ दूर होकर कष्ट मिट जाता है।
यो जायते स्वकृत पुण्य विपाक पोत निस्तीर्ण गर्भ विपदांऽबु नियि: कुमारः गृन्हति जन्मदिनतः प्रभृति गृहा स्तं तन् मोचनाय यतनं रची त्सुमंत्री
॥ १॥ जो बालक अपने किये हुए पुण्य के फल से गर्भ के कष्ट से छूट कर जन्म लेता है। दुष्टग्रह उस पर जन्म से ही आक्रमण करते हैं विद्वान मंत्र शास्त्री उन ग्रहों को दूर करने से उपाय करें।
इति गर्भोत्पत्ति विधानं नाम षष्टः समुदेश
අටකටට හලලලන් වගටමකවකටුසු