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विधानुकर
भूत ग्रह भूत दिने भूत महिजात मंडप स्याऽधः, कुजवारे भौमांशाभ्युदये प्रारभ्यते पक्तुं
।। ५७ ॥
भूत के ' घर में भूत के दिन 'भूत' की पृथ्वी पर अर्थात् श्मशान में मंडप के नीचे मंगलवार को मंगल ग्रह के उदय होने पर पकाना प्रारम्भ करे ।
कर्पास कंस गोमयरविकर विनिपतित वह्निना सम्यक,
खदिर कंरजार्क शमी निंब समिद्भिः पंचेदेमिः
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उस क्वाथ को सूर्य की किरणों से और कपास कांस गोवर करंज आक खेजडा नीम की लकड़ी की अग्रि से अच्छी तरह पकावे ।
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क्षिप ॐ स्वाहा बीजैः सकलीकरणं विधाय
निज देहे तैरेव बीज मंत्र: पक्तुः सकली क्रियां कुर्यात् ॥ ५९ ॥
क्षिप स्वाहा इन बीजों से अपने शरीर की सकली करण क्रिया करके उन्हीं बीज मंत्रों से पकाने की क्रिया करे ।
तत्सर्व धान्य सर्षप लवण धृतैः रिधनान्वितैश्रूल्यां
आपां कांता-मंत्री होमं कुर्यात्सु होम मंत्रेण ॥ ६० ॥
मंत्री पुरुष उस तेल के पकने तक होम के मंत्रो से सब धान्य सरसौं नमक धृत को होम कुंड में डालकर होम करता रहे।
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हिंगुर्मनः शिलैला हरिताल फल त्रिकं कटु त्रितयं रजनी द्वितीयं सर्षप लसुनं द्राक्षाद्रि धान्य वचा
निरस भावं गत्वा छाथोथा स्तंगतो यदा, भवति भूताकंपन तैलंमृदुपाक गतं तदासिद्धिं
॥ ६१॥
जब यह क्वाथ नीरस होकर तेल मात्र रहकर जमीन पर रखने जैसा हो जावे तो यह मृदुपाक से बनाया हुआ भूता कंप तेल तैयार होकर सिद्ध हो जाता है।
॥ ६२ ॥
अजमोद लवण पंचकमरिष्ट फल मुदधि फलम् त्रिवृता एतानि प्रति पाके दधादुत्तारित तैले
॥ ६३ ॥
हींग, मैन, शिल, इलायची, हडताल, हरड़े, बहेड़ा, आँवला (फलत्रिक) सोंठ, मिरच, पीपल, ( कटु त्रितयं) दोनों हल्दी (हल्दी और दारु हल्दी) सरसों, लहसुन, मुनक्का आदि (रुद्राक्षादि शब्द होने 9595953 487 V5252525259595