Book Title: Vidyanushasan
Author(s): Matisagar
Publisher: Digambar Jain Divyadhwani Prakashan

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Page 1089
________________ PSPSPSPSP5915 विद्यानुशासन PPPSP/5PS ॥ २५ ॥ मद्ये वकुल चंदाक फलके मद्ये वेश्मनि न जायेत हता शेष वर्ण गंध रसादिकं चकुल (मोलश्री) के चंदाक (बांदा) फल को शराब की दुकान में रखने से शराब की बू नहीं रहती है अगर उसको मद्या नक्षत्र में वहाँ रखा जाए अर्थात् मालश्री के फल या बांदा से शराब की बदबू नष्ट होती है। सप्ताहं या शिला क्षिप्ता तिक्त को शातिकी फलै, ईष्टं तल्लिस पुंड्रेण भोज्यं तिक्त रसं भवेत् ॥ २६ ॥ तिक्त कोशात्की (कड़ती तो के फूल से लीए करो शिला (सेसिल पत्थर) एक सप्ताह तक रखी जाती है पुंड्रण (गन्ना) और भोजन का द्रव्य का स्वाद देखते ही कड़वा हो जाता है। अधो पुष्पी लजाल तथा श्वेत च गिरिकर्णिका मधुकर्पूर संयुंक्तं छिद्रं पश्यति मेदिनी अधो पुष्पी लजालू और श्वेत गिरिकर्णिका (सफेद कोयल) शहद और कपूर से उसे पृथ्वी में छेद दिखते हैं अर्थात् भूमि का धन दिखता है। ॥ २७ ॥ मिलाकर अंजन करने वल्मीकमऽधो पुष्पमूलं स्त्री स्तन दुग्धतः पिष्टवा, जनस्य सामथ्र्यति निधानं पश्यति स्फुटं 11| 22 || वल्मीक (सर्प के बिल की मट्टी) और अधो पुष्पी को जड़ को स्त्री के स्तनों दे दूध से पीसकर आंखों में अंजन करने से पृथ्वी का खजाना दिखता है। पाद जातस्यांजनं कुर्यातः पाँव पहले निकले हुए को इसका अंजन कराए। मद द्वं द्वं तनुत्राणामऽस्त्रं ज्वलनवल्लभा । लक्ष जाप्या गजास्य मंत्रौ सौ सिद्धिमच्छति, एमं दंत मिश्र स्थाने विश्वेद ब्रह्म दिने खनेत् जप्तं मेतेन मंत्रेण स माद्ये द्वारणः क्षणात् ॥ २९ ॥ || 30 || मद दो बार तनुत्राणामस्त्रं (कवच हुं) अस्त्र (फट) और ज्वलन वल्लभा (स्वाहा ) यह गजस्य मंत्र एक लाख जप से सिद्ध होता है। मंत्र इस प्रकार है। ॥ मद मद हुं फट् स्वाहा ॥ ब्रह्म दिन ( शनैश्चर वार) को हाथी के स्थान में इस मंत्र से मंत्रित हाथी दांत को गाड़ने से वह हाथी उसी क्षण मस्त हो जाता है । 959595PA 159591१०८३ P25969595952

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