Book Title: Vidyanushasan
Author(s): Matisagar
Publisher: Digambar Jain Divyadhwani Prakashan

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Page 1101
________________ S5DISIOSISISEXSTO15 विधानुशासन PASTRISTOTSTRISDISCIEN अति रक्ता भवेत् पिष्टा निशा चूर्ण लेवान्वित्ता, पुनः पीता भवेत् स्यैवं चिंचाप्रसून विमिश्रिता (लंबा) कड़वी तुम्बी सहित हल्दी का चूर्ण को पीसने से वह बहुत लाल हो जाता है वह फिर (चिंचा प्रसून) इमली के फूल मिलाने से पीला हो जाता है। ॥९४|| कृष्णारिमेय पत्राणि चूर्ण नाग दलं तथा, हस्तौ मृदित मात्राणि कुर्वते जित विद्रुमौ ॥९५॥ (कृष्ण आद) () के पत्तों के चूर्ण और (नागइल) नागर बेल के पान चंपा नाग केशर (नागर मोतो) केपत्रों को हाथ से मलने से हाथ मूंगे के समान हो जाते है नाग लता दल मिश्रं जरत शिरीषस्य चर्वितं, कुसुमं चामी चूर्ण समेतं कुरुते पदरित विद्रुमछाया ॥९६॥ पुराने सिरस के फूल को चबाकर उसमें नामलता (नागर बेल के पान) और चर्मी (भोजपत्र) के चूर्ण को मिलाने से मूंगे के समान लाल रंग हो जाता है। नाना वर्ण युतैः साज्येशूर्णरुपरि वारिणः, स्थिरस्य निरिवलं चित्रं तन्मस्टो ननि मज्झति ॥२७॥ जल के अंदर अनेक रंग सहित चूर्णे को घी सहित डालने से संपूर्ण चित्र उसके अंदर नहीं डूबते हैं। श्रूष्मांतक फलोद्भूत सूक्ष्म चूर्ण विमिश्रतैः, वैर्ण चर्षितं चित्रं न निमज्जाति वारिणी ॥९८॥ (शेष्मांतक) लिसोड़े के बनाए हुए सूक्ष्म चूर्ण को मिलाकर डालने से चित्र पानी में नहीं डूबते हैं। ककुम फल भूति लुलिने कपितया विद्रुतया, यल्लाक्षाया विलिरिवतं चित्रं तत क्षालिनै न जलैः ॥९९॥ ककुम (अर्जुन) के फल की भरम में घोलकर विद्रुत (पिघलाया हुआ) मिला हुआ लाख से लिखा हुआ चित्र पानी में नहीं घुलता है। यदुपोषितेन भुक्तं जीणं कूर्मेण नव भुवा, तालं लिप्तस्य तेन यष्टिः करस्य नट मंडनं दराति ॥१०॥ OTSPISDISTRISIPISODE१०९५ PISCESD15195500505125

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