Book Title: Vidyanushasan
Author(s): Matisagar
Publisher: Digambar Jain Divyadhwani Prakashan

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Page 1104
________________ C55015015015125 विद्यानुशासन MSDI5DISTRI5103510050 कल्केन गंजा बीजानां लिप्ते शष्के लयद्दजे, आकम्य गच्छेदाद्रांधिस्थन्ने अपि सुपादुके ॥११४ ।। गुजा (चिरमी) के बीजों के कल्क से लेप की हुई पादुका को पांथों में पहनकर थोड़ी सूखाकर आनन्द से पानी पर चल सकता है। निर्गसेन कपित्योद्भवेन लिप्तं विश्रुष्के मारा नरः, आर्ट पद पासुन तुम उमपि बसंधुदुम संधतं ॥११५॥ लघु द्रुम से बनी हुई दोनों पादुका पर कपित्य किय) के काढ़े का लेप कर उसको दोनों पावों में पहनकर सूखने पर उसके ऊपर आनन्द से चलें। पूर्वोक्त लेप कल्पितं श्रुष्ठ रजः सिक्तमानं फलाकाद्यां, लघु द्वादशजनाकातं नं विमुंचेतापहास्यजन जंघ्य नांतं ॥ ११६ ।। पहले कहे हुए लेप से युक्त सूखे हुए चूर्ण से आसन तखती आदि को भिगोने से या उससे लगा हुआ अंग अलग नहीं होता है। विनयादि नमो भगवत्ये हि द्वयमां गजेन्द्र कश कृवाणाः, शून्यानि पंच कुरु फल पुष्पाया कर्षणं होमं ॥११७॥ ॐ नमो भगवति ऐहि ऐहि आंकों द्रां द्रीं क्लीं ब्लूं सः हां ही हूं ह्रौं हः फल पुष्पा कृष्टिं कुरु कुरु स्वाहा। आदि में ॐ नमो भगवति एहि दो बार आं और गजेन्द्र वश करण (क्रो) काम के पांच बाण (ट्रां द्रीं क्लीं ब्लू सः) पंच शून्य बीज हां ह्रीं हूं ह्रौ हः फिर फल पुष्पा कृष्टि कुरु कुरु स्वाहा मंत्र है | ब्राह्मण कुमारिकाया दहनागारं प्रगृह्य सूर्य दिने, तेनैव पटेविलिवेदष्टभुजां भगवती सम्यक ॥११८॥ इतवार (सूर्य दिने) के दिन ब्राह्मण की कुमारी के दहनांगार को लेकर उसी वस्त्र पर अच्छी तरह आठ भुजा वाली भगवती का रुप लिखें। तत्पुरतः करवीर प्रसव सह जिन प्रमाण युतैः, जप्त्या करोतु मंत्री पुष्प फलानां समाकृष्टिं ॥११९॥ उत्तम मंत्री उसके सामने जिनेन्द्र देव संख्या प्रमाण अर्थात् चौबीस हजार जप कनेर के लाल फूलों पर करने वाला पेड़ों के फल और फूलों का आकर्षण कर सकता है। CHRISRISTRISTRICISTO5१०९८२/STRASTRISTRISTORISEASE

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