Book Title: Vidyanushasan
Author(s): Matisagar
Publisher: Digambar Jain Divyadhwani Prakashan

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Page 1088
________________ SASIRISTRISTOTRIOTICS विधानुशासन DX510151050STOTSIDESI स्वाति नक्षत्र में इस मंत्र से मंत्रित यांदर (कपास के पेड़) कील (लकड़ी) को चक्रिए तिली) के घर में गाड़े तो तैल नष्ट हो जाता है। सर युगलं वेश्वानर वल्लभा मनु सोयं, वैश्वानास्य सिद्धं प्रयाति लक्ष प्रजाप्येन ॥१९॥ दो बार सर फिर वैश्वानर वल्लभा (स्वाहा) यह वैश्ववानर मंत्र एक लाख जप से सिद्ध होता है। (सर सर वैश्वानर स्वाहा) हस्तः पंचागुलमभिमंत्रयै तेन सर्जतरू कोलं, निरवनेत् कुलाल वेश्मनि भांडानां नाशनं भवति ॥२०॥ यदि हस्त नक्षत्र में सर्ज तरू (शाल वृक्ष) की कील को इस मंत्र (सर सर वैश्वानर स्वाहा) से मंत्रित करके कुलल (कुम्हार) के वेशमन(घर) में गाड़े तो उसके बर्तन फूट जाते हैं। बलि निष्परिपूर्णहु द्वंद्वं वरूण दैवतः मंत्रोयं सिद्धं मायाति लक्ष्य रूप्ट प्रजाप्यतः ॥२१॥ बलि के आगे पूर्णेदु (ठ) और वरूण देवतः यह मंत्र एक लाख जप से सिद्ध होता है। अष्टांगलं भगु दिने मंत्रेणनेन वदर संकीलं निरवेनेत् ज्जालिक वेश्मनि मत्स्यास्तेन्नैर्भ लभ्यते ॥२२॥ भृगु वार (शुक्रवार) के दिन आठ अंगुल लम्बे चंदर (बोर) की लकड़ी को कोल को इस मंत्र से अभिमंत्रित करके यदि ( जालिक) मछुवे के घर में गाड़ दे तो उसतो मछली नहीं मिलती है। लिंगे द्वंद्वं ततो बहिन वल्लभा लक्ष जापतः मंत्रोयं सिद्धिमायाति महाकालाधि दैवतः |॥२३॥ दो बार लिंगे और वन्हि वल्लभा (स्वाहा) यह महाकाधि देवता का मंत्र है एक लाख जाप से यह मंत्र सिद्ध होता है। लिंगे लिंगे स्वाहा। श्मशान कील सचितं कीलमेतेन मंत्रितं। '. सुरापणे रखनेद्यस्य तत्सुरायाः क्षयो भवेत् ||२४॥ जिस शराब की दुकान में इस मंत्र से मंत्रित श्मशान की कील (हसी) गाड़ी जाती है उसकी शराब नष्ट हो जाती है। SASRISD501512ISIOMD55१०८२P351315252525PISIS

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