Book Title: Vidyanushasan
Author(s): Matisagar
Publisher: Digambar Jain Divyadhwani Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 1086
________________ 05101510SICISTOR5015 विद्यानुशासन BASADASDISTRISTOTOS सिद्धटोत् लक्ष जाप्यात् दुर्गा मंत्रेण मंत्रिता : क्षिप्ताः श्वेत तिला रात्र गृहे स्वीपति जन स्तद्गातः संतत इस दुर्गा मंत्र को एक लाख जप से सिद्ध करके इससे अभिमंत्रित सफेद तिलों को जिसके घर में डाले जाते हैं। उसके घर वाले निरकर सोते रहते हैं। ॐ काल दडी रखोई ॐ काल दंडी फट ठाठः सहश्राष्ठ जाप्टोन मंत्र एषः प्रसिद्धयति। कृष्णाष्टभ्या:प्रभृत्टोन प्रजेपन्मत्रं मा कूहे ॥७॥ यह मंत्र आठ हजार जप से सिद्ध होता है। इसको कृष्ण अष्टमी से अमावास तक डपे। यंत्र ऽमानस्टायां मंत्रस्य जपः प्रयाति निशानां।। तस्यां वर्तुलमंडलं मध्टोन्यस्यार्चित चषक ॥८॥ अमावस्या को मंत्र का जप समाप्त होने पर एक गोल मंडल के बीच में रखकर चषक (शराब के बर्तन की पूजा करें। नियोति मंडला तत् यावत् तावत् जपेष्यतः मंत्रं, इच्छं सिद्रेत ततः कुर्यात् चषक क्रियां मंत्री ॥९॥ जब तक इस मंत्र को जपता रहे तब तक मंडल में से नहीं निकले इस प्रकार मंत्र को सिद्ध होने पर मंत्री चषक क्रिया करे। चोर पकड़ने का मंत्र ॐ नील कंठ श्री कंठ अमर भ्रमर छत्र धर पिंगलाक्षि काम रूपी आमरण्य वासी निरोवर ठाठः ॥ काली मंत्राट दश सहस्त्र रूप प्रजाप्यतः सिद्धैत, चोर पर ज्ञानादि षनेनं चषक क्रियां कुर्यतिष्व यह काली मंत्र दस हजार जप से सिद्ध होता है। चोर इत्यादि को पहचानने में इससे चषक क्रिया करे संदिग्ध नाम वर्णन विलिव्य पत्रे विदर्भितानमुना अग्नौ प्रदेहत्पत्रं तचोराख्यान दह्यते ॥११॥ संदेह वाले नाम के वर्ण अक्षरों को इस मंत्र से विदर्भ करके पत्ते पर लिगकर उसे अग्नि में तपाये तो चोर का नाम नहीं जलेगा। SSCI5DSIRIDIODESISTER०८०PISRTICISDISTRISESSIOTSI

Loading...

Page Navigation
1 ... 1084 1085 1086 1087 1088 1089 1090 1091 1092 1093 1094 1095 1096 1097 1098 1099 1100 1101 1102 1103 1104 1105 1106 1107 1108