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CASTOTOSHDOORD5 विद्यानुशासन PSPIRIORSRISIRISE
मंत्रणानल दैवतस्य जुहुया द्रा सप्त रात्रावध
रिंद्राणी मपि चानयेत् क्षिति गत स्त्रिया कर्षणे का कथा लाख और सिद्ध मिट्टी से स्त्री की द्रौप्रति कृति (पुतली) बनाकर, उसके हृदय में नाम के अक्षरों सहित यंत्र की स्थापना करे। उसके उदर (पेट) में लाख भर देवे- फिर उस मूर्ति की योनि,मस्तक और हृदय को पुर पुष्ट के कांटे से बींधकर एक को अम्बु (जल) में रख देवें और दूसरी को अग्नि के होम कुंड में रख देवें । फिर सायंकाल के समय लाख , गूगल, राई काले तिल, घृत और नाम लिखे हुये पत्ते तथा नमक की उस स्त्री के नाम को याद करते हुए अनिल देवता (ज्वालामालिनी) देवी के मंत्र से एक सौ आठ आहूतियां देवे । यदि अनिल (ज्वालामालिनी) देवी के मंत्र में सात रात्रि की अवधि तक होम करे तो इद्राणी को भी पृथ्वी पर खींच कर ला सकता है। फिर भला भूमि पर रहने वाली स्त्री के आकर्षण की क्या बात है।
आलक्यं सट भागा स्तन्या कां गारमर्पितं
नामानौ पथते यस्याः साकर्षे ताम गना क्षणात्॥ जिस नाम के अलर्य (सफेद आक) के दूध से बायें हाथ से लिखकर (स्तन्यक)दूध सहित अंगारों पर तपाया जाता है यह स्त्री उसी क्षण खींची चली जाती है।
गुरू प्रसादादधिगम्य सर्वमाकृष्टि तंत्रं बहुशोप्युपाया एतद विद्यातुं इहो उद्यतः
स्यात् तस्यांगना कर्षेण कर्मठत्वं || गुरु की कृपा से जाने हुवे बहुत से उपाय वाले आकर्षण यंत्र जान कर जो इससे बतलाये हुए उपायों को करने के लिए उद्यत होता है वह स्त्रियों के आकर्षण में (चतुर) कर्मठ होता है।
"इति"
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