Book Title: Vidyanushasan
Author(s): Matisagar
Publisher: Digambar Jain Divyadhwani Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 1083
________________ MA 9596959695953 विधानुशासन 259695959595 * ७. 遞 Keedata. को 9. म को ट्री ही २२ 1 उ Yea 197 ₹ ₹ र‍ 做出 Not 遊 1 W " LOVE नाम र ₹ छो डी ही ही चरक को स्वा *** स्वा स्वा ★ 25ucitas ही वालामालनी ही क्ली 店 St ही य paratas का क हूँ र र धूप कारण सीएड २ अवश्य कुह १ ट् 2 2 2 2 2 " th लाक्षायाश्रुं सुसिद्द मृप्तति कुंति कृत्वा हृदि तयो यंत्र स्थापयनाम वर्ण सहितं लाक्षां प्रपूर्यो दरे भीत्वा योनि ललाटद्दत्सपुर पुष्टारव्य सत्कंटकैः छ रा ॥ ३९ ॥ रै कां बुश तलै पूर्वस्य न्यस्य च पशं वन्हाग्रि कुंड़ो परि लाक्षा गुग्गुल राज का तिल घृतै पत्रस्थ नामान्वितैः संयुक्तैः लवणेन तत्समृति युतः संध्या सुसाष्टं शतं ॥ ३८ ॥ 25252525252525; -0.45952525252525 १०७७

Loading...

Page Navigation
1 ... 1081 1082 1083 1084 1085 1086 1087 1088 1089 1090 1091 1092 1093 1094 1095 1096 1097 1098 1099 1100 1101 1102 1103 1104 1105 1106 1107 1108