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CISIOSIRIDIDISTRI5105 विधानुशासन 05125050151955105
द्विः परिकवच. होम जपनामुलट ज्ञाप्प रिद्धिं निन्दजेल,
सदमन्याऽरिष्ट कालंत्र्यशमरे: कामोत् यदि बहुविपदः ॥१०९।। दो बार कवच हुं हुं अस्त्र (फट) होम (स्वाहा) अर्थात् हुं हुं फट स्वाहा इस मंत्र को एक लाख जप से सिद्ध करके शत्रु के घर पर यदि उसको बहुत कष्ट देना होतो इस मंत्र से अभिमंत्रित करके काठ की तीन कील गाड़ देवे।
टोशे कारस्कर मय कीलेंदु शब्द मालिरव्य,
मंत्री रखनेदऽचिरात् दुःरवानि व्यातनोति रिपो ॥११०॥ जिस समय मंत्री उन कारस्कर (कुचला) की कीलो को चंद्र शब्द लिखकर गाड़ने के लिए खोदता है उसी समय शत्रु को दुःख धेर लेते हैं।
मर्मणो द्वितयं दम स्त्रयोश्चंद्रयो दयं, सिद्धेन्नगेंद्र मंत्रोयं लक्ष जाप्पात् फलार्थिनां
॥१११॥ दो मर्म (जं जं) दो अस्त्र (फट फट) और दो चंद्र (ठं ठं) अर्थात् जं जं फट फट ठं ठं नागेंद्र मंत्र चाहनेवोलों को एक लाख जप से सिद्ध होता है।
सप्परिटयै कांगुलं यत्र सप्पक्षिा निरखनेद ग्रहे, जप्तमे तेन तद्वेशमस्यात् सप्पानां निकेतनं
॥११२॥
मंत्रो मुरु मुरु चुरु चुरु ठठेति लक्ष्य प्रजाप्पतः सिद्धं,
स्तं वरम वदनस्य प्रयातऽसौ प्रथित निज शक्तिः ॥११३।। मुरु मुरु चुरु धुरु ठः ठः यह मंत्र एक लाख जप से सिद्ध होता है। यह मंत्र अपनी शक्ति से विश्यास कराने में बड़ा प्रसिद्ध है।
वेशमन्य नेन जप्तं प्राच्यां दिशि रखनतु वैरिणो मंत्रि,
गोदंतं गृह मेतत् मूषिक कुलं भवति ॥११४ ॥ मंत्री यदि इस मंत्र से गौ के दांत को अभिमंत्रित करके उसको शत्रु के घर की पूर्व की दिशा में गाड़ दे तो यह घर चूहों से भर जाता है।
सप्तां गुलं रिपो मेंहं पैप्पलं कीलमश्वने,
चिता काष्ट मयं याम्ये निरवनेत् स विनश्यति ॥११५॥ SSIOTSPIRIDISTRISTS15015७८७ 75105IRISTRISPIRISEXSI