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SSCR5RISTOSTEDOS विद्यानुशासन P52525E5IRSOTE
अष्ट दल कमल मध्ये स्वनाम तत्वं दलेषु चित्त भवं, पुनरप्टाअष्ट दलाबुजमिभ वशकरण दलेषु लिरवेत्॥ षोडश दलगत पदमं क्लौंकारं तदलेषु सुरभि द्रव्यैः क्लां क्लीं क्लूं क्लौं कारस्तंटानं वेषये त्यारित : तद्वाहये अर्क शशि भ्यां जपतः शून्यैश्च पंचभि
नित्यं नाग नरामर लोकः क्षुभ्यति वश्यत्वमायाति ॥ एक अष्ट दल कमल की कणिका में तत्व (हीं ) के भीतर अपना नाम लिखकर आटों दलों में चित्र भवं (क्लीं) लिखे, फिर आठ दल के कमल के पत्तों में (इभ यशकरण) क्रौं लिखें, फिर सोलह दल वाले कमल के पत्रों में क्लौं सुगंधित द्रव्यों से लिख्ने, फिर उस यंत्र के चारों तरफ क्लां क्लीं क्लूं क्लौं से वेष्टिच करे। उसके बाहर सूर्य और चंद्रमा से वेष्टित करके नित्य ही पांच शून्य बीज (हां ह्रीं हूं ह्रौं हः) का जप करने से नाग नरलोक लोक और अमर (देव) लोक वश में हो जाते हैं।
ॐ ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह: नाग नरामर लोके मम वश्यो भवतु भवतु वषट् स्वाहा ॥ जपमंत्र:
क्ला
तो क्यूँ
क्ली क्ला
बली
नाम
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पला क्लीन
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सनीली
ने ली क्ला
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