Book Title: Vidyanushasan
Author(s): Matisagar
Publisher: Digambar Jain Divyadhwani Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 1080
________________ 96959595 तलवे ताम्रपत्रे वा श्मशानो द्रवखंपरे, तदंग मल धत्तूर विषांगाराय लेपयेत् ॥ ३४ ॥ । ह्रीं के बीच में स्त्री का नाम लिखकर उसके बाहर षटकोण बनावे उसके ऊपर त्रिभुज के कोणों में ही ऊपर के दो कोण में खूं और नीचे ॐ लिखे। उसके प्रत्येक कोण के ऊपर आं क्रों लिखे और इन सबको उपरोक्त मंत्र से घेर दें। उसके बाहर वायुमंडल बनावे यह यंत्र खेर की अग्नि से तपाया जाने पर स्त्रियों का आकर्षण करता है । ॐ ह्रीं हसली सौ आं क्रों यूं नित्ये क्लिन्ने मद द्रवे मदनातुरे अमुकी माकर्षय आकर्षय मम वश्या कृष्टिं कुरू कुरू संवोष्ट - ॥ यह यंत्र ताम्रपत्र पर या श्मशान के खर्पर पर स्त्री के अंग के मल धतूरा ऋगी विष और अंगार से लिया जाना चाहिए। स्वा य मम वश्या विद्याभुशासन 969595959595 haselte 'आकर्षय य Je ह्रीं आ 使 सवौषट नाम The हसओं को यूँ नित्ये किलन्ने मददेव मदना कौ उ ह्री स्वा 機 हल्की स्वा 6 नाम तत्त्व विगर्भितं वहिरालिरखेतत् शिविमंंडले रेफ मंत्र वृतंश्मशान जखर्परे विलिखेदिदं तापयेत् 959595959१०७४ 5959596959

Loading...

Page Navigation
1 ... 1078 1079 1080 1081 1082 1083 1084 1085 1086 1087 1088 1089 1090 1091 1092 1093 1094 1095 1096 1097 1098 1099 1100 1101 1102 1103 1104 1105 1106 1107 1108